नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-02/01/2024, मंगलवार
षष्ठी, कृष्ण पक्ष,
पौष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि————- षष्ठी 17:10:08 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—- पूर्वा फाल्गुनी 11:41:01
योग———- सौभाग्य 29:31:28
करण———– वणिज 17:10:08
करण——- विष्टि भद्र 30:30:28
वार———————– मंगलवार
माह————————— पौष
चन्द्र राशि——– सिंह 18:27:48
चन्द्र राशि—————– कन्या
सूर्य राशि——————– धनु
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————-पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————– 1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:11:13
सूर्यास्त—————- 17:34:52
दिन काल————- 10:23:38
रात्री काल————–13:36:36
चंद्रास्त—————- 11:16:04
चंद्रोदय—————- 23:15:30
लग्न—- धनु 16°56′ , 256°56′
सूर्य नक्षत्र————— पूर्वाषाढा
चन्द्र नक्षत्र———– पूर्वा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
टू—- पूर्वा फाल्गुनी 11:41:01
टे—- उत्तरा फाल्गुनी 18:27:48
टो—- उत्तरा फाल्गुनी 25:14:14
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= धनु 16:30, पूo षाo 1 भू
चन्द्र=सिंह 12:30 , मघा 4 मे
बुध =वृश्चिक 27:53′ ज्येष्ठा 4 यू
शु क्र=वृश्चिक 09°05, अनुराधा’ 2 नी
मंगल=धनु 03 °30 ‘ मूल ‘ 2 यो
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 09°40 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 26°40 रेवती , 4 ची
केतु=(व) कन्या 26°40 चित्रा , 2 पो
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 14:59 – 16:17 अशुभ
यम घंटा 09:47 – 11:05 अशुभ
गुली काल 12:23 – 13: 41अशुभ
अभिजित 12:02 – 12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 09:16 – 09:58 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:01 – 23:43 अशुभ
वर्ज्यम 19:49 – 21:38 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग 07:11 – 08:29 अशुभ
उद्वेग 08:29 – 09:47 अशुभ
चर 09:47 – 11:05 शुभ
लाभ 11:05 – 12:23 शुभ
अमृत 12:23 – 13:41 शुभ
काल 13:41 – 14:59 अशुभ
शुभ 14:59 – 16:17 शुभ
रोग 16:17 – 17:35 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
काल 17:35 – 19:17 अशुभ
लाभ 19:17 – 20:59 शुभ
उद्वेग 20:59 – 22:41 अशुभ
शुभ 22:41 – 24:23* शुभ
अमृत 24:23* – 26:05* शुभ
चर 26:05* – 27:47* शुभ
रोग 27:47* – 29:29* अशुभ
काल 29:29* – 31:11* अशुभ
💮होरा, दिन
मंगल 07:11 – 08:03
सूर्य 08:03 – 08:55
शुक्र 08:55 – 09:47
बुध 09:47 – 10:39
चन्द्र 10:39 – 11:31
शनि 11:31 – 12:23
बृहस्पति 12:23 – 13:15
मंगल 13:15 – 14:07
सूर्य 14:07 – 14:59
शुक्र 14:59 – 15:51
बुध 15:51 – 16:43
चन्द्र 16:43 – 17:35
🚩होरा, रात
शनि 17:35 – 18:43
बृहस्पति 18:43 – 19:51
मंगल 19:51 – 20:59
सूर्य 20:59 – 22:07
शुक्र 22:07 – 23:15
बुध 23:15 – 24:23
चन्द्र 24:23* – 25:31
शनि 25:31* – 26:39
बृहस्पति 26:39* – 27:47
मंगल 27:47* – 28:55
सूर्य 28:55* – 30:03
शुक्र 30:03* – 31:11
,🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
धनु > 04:56 से 07:06 तक
मकर > 07:06 से 08:58 तक
कुम्भ > 08:58 से 10:20 तक
मीन > 10:20 से 11:50 तक
मेष > 11:50 से 13:32 तक
वृषभ > 13:32 से 15:30 तक
मिथुन > 15:30 से 17:42 तक
कर्क > 17:42 से 20:02 तक
सिंह > 20:02 से 22:12 तक
कन्या > 22:12 से 00:28 तक
तुला > 00:28 से 02:34 तक
वृश्चिक > 02:34 से 04:52 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 6 + 3 +1 = 25 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
21 + 21 + 5 = 47 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 17:10 से रात्रि 3029 तक समाप्त
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