नीरजपाराशर आचारय:










* जय श्री राधे *

महर्षि पाराशर पंचांग 



अथ पंचांगम् 


**ll जय श्री राधे ll**










दिनाँक:-09/01/2024, मंगलवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
पौष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- त्रयोदशी 22:24:12 तक
पक्ष————————– कृष्ण
नक्षत्र———– ज्येष्ठा 21:10:18
योग————– वृद्वि 24:20:56
करण————– गर 11:16:49
करण———– वणिज 22:24:12
वार———————– मंगलवार
माह————————- पौष
चन्द्र राशि——-वृश्चिक 21:10:18
चन्द्र राशि—————— धनु
सूर्य राशि——————– धनु
रितु———————— शिशिर
आयन——————–उत्तरायण
संवत्सर——————- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————-पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————-1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:12:24
सूर्यास्त—————- 17:39:57
दिन काल————- 10:27:32
रात्री काल————- 13:32:31
चंद्रास्त—————- 15:21:01
चंद्रोदय—————- 30:05:16
लग्न——– धनु 24°5′ , 264°5′
सूर्य नक्षत्र—————-पूर्वाषाढा
चन्द्र नक्षत्र——————- ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया——————- ताम्र


पद, चरण 


या—- ज्येष्ठा 09:41:38
यी—- ज्येष्ठा 15:27:16
यू—- ज्येष्ठा 21:10:18
ये—- मूल 26:50:52


ग्रह गोचर 


ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= धनु 24:30, पूo षाo 4 ढा
चन्द्र=वृश्चिक 21:30 , ज्येष्ठा 2 या
बुध =धनु 01:53′ मूल 1 ये
शु क्र=वृश्चिक 18°05, ज्येष्ठा ‘ 1 नो
मंगल=धनु 09 °30 ‘ मूल ‘ 3 भा
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 09°40 ‘ शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मीन 26°20 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 26°20 चित्रा , 1 पे


शुभा$शुभ मुहूर्त 


राहू काल 15:03 – 16:22 अशुभ
यम घंटा 09:49 – 11:08 अशुभ
गुली काल 12:26 – 13: 45अशुभ
अभिजित 12:05 – 12:47 शुभ
दूर मुहूर्त 09:18 – 09:59 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:05 – 23:47 अशुभ
गंड मूल अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
रोग 07:12 – 08:31 अशुभ
उद्वेग 08:31 – 09:49 अशुभ
चर 09:49 – 11:08 शुभ
लाभ 11:08 – 12:26 शुभ
अमृत 12:26 – 13:45 शुभ
काल 13:45 – 15:03 अशुभ
शुभ 15:03 – 16:22 शुभ
रोग 16:22 – 17:40 अशुभ
चोघडिया, रात
काल 17:40 – 19:22 अशुभ
लाभ 19:22 – 21:03 शुभ
उद्वेग 21:03 – 22:45 अशुभ
शुभ 22:45 – 24:26* शुभ
अमृत 24:26* – 26:08* शुभ
चर 26:08* – 27:49* शुभ
रोग 27:49* – 29:31* अशुभ
काल 29:31* – 31:12* अशुभ
होरा, दिन
मंगल 07:12 – 08:05
सूर्य 08:05 – 08:57
शुक्र 08:57 – 09:49
बुध 09:49 – 10:42
चन्द्र 10:42 – 11:34
शनि 11:34 – 12:26
बृहस्पति 12:26 – 13:18
मंगल 13:18 – 14:11
सूर्य 14:11 – 15:03
शुक्र 15:03 – 15:55
बुध 15:55 – 16:48
चन्द्र 16:48 – 17:40
होरा, रात
शनि 17:40 – 18:48
बृहस्पति 18:48 – 19:55
मंगल 19:55 – 21:03
सूर्य 21:03 – 22:11
शुक्र 22:11 – 23:19
बुध 23:19 – 24:26
चन्द्र 24:26* – 25:34
शनि 25:34* – 26:42
बृहस्पति 26:42* – 27:49
मंगल 27:49* – 28:57
सूर्य 28:57* – 30:05
शुक्र 30:05* – 31:12
,
उदयलग्न प्रवेशकाल 
धनु > 04:28 से 06:38 तक
मकर > 06:38 से 08:30 तक
कुम्भ > 08:34 से 09:52 तक
मीन > 09:52 से 11:22 तक
मेष > 11:22 से 13:04 तक
वृषभ > 13:04 से 15:02 तक
मिथुन > 15:02 से 17:14 तक
कर्क > 17:14 से 19:34 तक
सिंह > 19:34 से 21:46 तक
कन्या > 21:46 से 00:00 तक
तुला > 00:00 से 02:06 तक
वृश्चिक > 02:06 से 04:24 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 13 + 3 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

ग्रह मुख आहुति ज्ञान 

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञेनवेलायां = कष्ट कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 22:24 से प्रारंभ
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