नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-14/01/2024, रविवार
तृतीया, शुक्ल पक्ष,
पौष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– तृतीया 07:59:21 तक
तिथि—— चतुर्थी 28:58:35(क्षय )
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———– धनिष्ठा 10:21:28
योग———- व्यतिपत 26:38:29
करण————– गर 07:59:21
करण———– वणिज 18:27:09
करण——- विष्टि भद्र 28:58:35
वार———————— रविवार
माह————————- पौष
चन्द्र राशि—————— कुम्भ
सूर्य राशि——— धनु 26:42:18
सूर्य राशि———————मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ——————-पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————- 2080
शक संवत——————1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:12:28
सूर्यास्त—————- 17:43:50
दिन काल————- 10:31:22
रात्री काल—————13:28:33
चंद्रोदय—————- 09:33:57
चंद्रास्त—————- 21:01:02
लग्न—- धनु 29°10′ , 269°10′
सूर्य नक्षत्र————- उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र—————— धनिष्ठा
नक्षत्र पाया——————- ताम्र
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
गे—- धनिष्ठा 10:21:28
गो—- शतभिषा 15:46:09
सा—- शतभिषा 21:11:42
सी—- शतभिषा 26:38:13
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= धनु 29:10, उ o षाo 1 भेे
चन्द्र=कुम्भ 04:30 , धनिष्ठा 4 गे
बुध =धनु 05:53′ मूल 2 यो
शु क्र=वृश्चिक 24°05, ज्येष्ठा ‘ 3 यी
मंगल=धनु 12 °30 ‘ मूल ‘ 4 भी
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 10°40 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 26°05 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 26°05 चित्रा , 1 पे
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 16:25 – 17:44 अशुभ
यम घंटा 12:28 – 13:47 अशुभ
गुली काल 15:06 – 16: 25अशुभ
अभिजित 12:07 – 12:49 शुभ
दूर मुहूर्त 16:20 – 17:02 अशुभ
वर्ज्यम 16:51 – 18:18 अशुभ
🚩पंचक अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 07:12 – 08:31 अशुभ
चर 08:31 – 09:50 शुभ
लाभ 09:50 – 11:09 शुभ
अमृत 11:09 – 12:28 शुभ
काल 12:28 – 13:47 अशुभ
शुभ 13:47 – 15:06 शुभ
रोग 15:06 – 16:25 अशुभ
उद्वेग 16:25 – 17:44 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:44 – 19:25 शुभ
अमृत 19:25 – 21:06 शुभ
चर 21:06 – 22:47 शुभ
रोग 22:47 – 24:28* अशुभ
काल 24:28* – 26:09* अशुभ
लाभ 26:09* – 27:50* शुभ
उद्वेग 27:50* – 29:31* अशुभ
शुभ 29:31* – 31:12* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 07:12 – 08:05
शुक्र 08:05 – 08:58
बुध 08:58 – 09:50
चन्द्र 09:50 – 10:43
शनि 10:43 – 11:36
बृहस्पति 11:36 – 12:28
मंगल 12:28 – 13:21
सूर्य 13:21 – 14:13
शुक्र 14:13 – 15:06
बुध 15:06 – 15:59
चन्द्र 15:59 – 16:51
शनि 16:51 – 17:44
🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:44 – 18:51
मंगल 18:51 – 19:59
सूर्य 19:59 – 21:06
शुक्र 21:06 – 22:13
बुध 22:13 – 23:21
चन्द्र 23:21 – 24:28
शनि 24:28* – 25:36
बृहस्पति 25:36* – 26:43
मंगल 26:43* – 27:50
सूर्य 27:50* – 28:58
शुक्र 28:58* – 30:05
बुध 30:05* – 31:12
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
धनु > 04:08 से 06:18 तक
मकर > 06:18 से 08:14 तक
कुम्भ > 08:14 से 09:32 तक
मीन > 09:32 से 11:02 तक
मेष > 11:02 से 12:44 तक
वृषभ > 12:44 से 14:42 तक
मिथुन > 14:42 से 16:54 तक
कर्क > 16:54 से 19:14 तक
सिंह > 19:14 से 21:26 तक
कन्या > 21:26 से 23:40 तक
तुला > 23:40 से 01:46 तक
वृश्चिक > 01:46 से 03:58 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
3 + 1 + 1 = 5 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
3 + 3 + 5 = 11 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 18:28 से रात्रि 28:59 तक
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