नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-18/01/2023, गुरुवार
अष्टमी, शुक्ल पक्ष,
पौष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– अष्टमी 20:44:16 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——— अश्विनी 26:56:59
योग————– सिद्ध 14:46:32
करण——- विष्टि भद्र 09:21:33
करण————– बव 20:44:16
वार———————– गुरूवार
माह————————— पौष
चन्द्र राशि——————- मेष
सूर्य राशि——————- मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:12:03
सूर्यास्त————— 17:47:02
दिन काल————- 10:34:59
रात्री काल————- 13:24:50
चंद्रोदय—————- 11:51:46
चंद्रास्त—————- 25:15:41
लग्न—- मकर 3°15′ , 273°15′
सूर्य नक्षत्र————- उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र—————— अश्विनी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
चु—- अश्विनी 09:21:02
चे—- अश्विनी 15:11:14
चो—- अश्विनी 21:03:14
ला—- अश्विनी 26:56:59
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मकर 03:10, उ o षाo 2 भो
चन्द्र=मेष 02:30 , अश्विनी 1 चू
बुध =धनु 10:53′ मूल 4 भी
शु क्र=वृश्चिक 29°05, ज्येष्ठा ‘ 4 यू
मंगल=धनु 15 °30 ‘ पू oषाo’ 1 भू
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 10°40 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 25°50 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 25°50 चित्रा , 1 पे
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 13:49 – 15:08 अशुभ
यम घंटा 07:12 – 08:31 अशुभ
गुली काल 09:51 – 11: 10अशुभ
अभिजित 12:08 – 12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 10:44 – 11:26 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:58 – 15:40 अशुभ
वर्ज्यम 23:01 – 24:35* अशुभ
🚩गंड मूल 07:12 – 26:57* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ 07:12 – 08:31 शुभ
रोग 08:31 – 09:51 अशुभ
उद्वेग 09:51 – 11:10 अशुभ
चर 11:10 – 12:30 शुभ
लाभ 12:30 – 13:49 शुभ
अमृत 13:49 – 15:08 शुभ
काल 15:08 – 16:28 अशुभ
शुभ 16:28 – 17:47 शुभ
🚩चोघडिया, रात
अमृत 17:47 – 19:28 शुभ
चर 19:28 – 21:08 शुभ
रोग 21:08 – 22:49 अशुभ
काल 22:49 – 24:29* अशुभ
लाभ 24:29* – 26:10* शुभ
उद्वेग 26:10* – 27:51* अशुभ
शुभ 27:51* – 29:31* शुभ
अमृत 29:31* – 31:12* शुभ
💮होरा, दिन
बृहस्पति 07:12 – 08:05
मंगल 08:05 – 08:58
सूर्य 08:58 – 09:51
शुक्र 09:51 – 10:44
बुध 10:44 – 11:37
चन्द्र 11:37 – 12:30
शनि 12:30 – 13:22
बृहस्पति 13:22 – 14:15
मंगल 14:15 – 15:08
सूर्य 15:08 – 16:01
शुक्र 16:01 – 16:54
बुध 16:54 – 17:47
🚩होरा, रात
चन्द्र 17:47 – 18:54
शनि 18:54 – 20:01
बृहस्पति 20:01 – 21:08
मंगल 21:08 – 22:15
सूर्य 22:15 – 23:22
शुक्र 23:22 – 24:29
बुध 24:29* – 25:37
चन्द्र 25:37* – 26:44
शनि 26:44* – 27:51
बृहस्पति 27:51* – 28:58
मंगल 28:58* – 30:05
सूर्य 30:05* – 31:12
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
मकर > 06:04 से 08:02 तक
कुम्भ > 08:02 से 09:20 तक
मीन > 09:20 से 10:50 तक
मेष > 10:50 से 12:32 तक
वृषभ > 12:32 से 14:30 तक
मिथुन > 14:30 से 16:42 तक
कर्क > 16:42 से 19:02 तक
सिंह > 19:02 से 21:14 तक
कन्या > 21:14 से 23:28 तक
तुला > 23:28 से 01:34 तक
वृश्चिक > 01:34 से 03:46 तक
धनु > 03:46 से 06:02 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
8 + 5 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास= मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 09:25 तक समाप्त
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