नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-21/01/2024, रविवार
एकादशी, शुक्ल पक्ष,
पौष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——– एकादशी 19:26:27 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——— रोहिणी 27:51:13
योग———— शुक्ल 09:45:14
करण———– वणिज 07:23:07
करण——–विष्टि भद्र 19:26:27
वार————————रविवार
माह————————- पौष
चन्द्र राशि—————— वृषभ
सूर्य राशि——————- मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:11:28
सूर्यास्त—————- 17:49:28
दिन काल————- 10:38:00
रात्री काल————- 13:21:44
चंद्रोदय—————- 13:50:47
चंद्रास्त—————- 28:23:21
लग्न—- मकर 6°18′ , 276°18′
सूर्य नक्षत्र————- उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र—————— रोहिणी
नक्षत्र पाया——————- लोहा
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ओ—- रोहिणी 09:16:38
वा—- रोहिणी 15:26:42
वी—- रोहिणी 21:38:14
वु—- रोहिणी 27:51:13
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मकर 06:10, उ o षाo 3 जा
चन्द्र=वृषभ 12:30 , रोहिणी 1 ओ
बुध =धनु 14:53′ पू o षाo 1 भू
शु क्र=धनु 02°05, मूल ‘ 1 ये
मंगल=धनु 18 °30 ‘ पू oषाo’ 2 धा
गुरु=मेष 12°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 11°40 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 25°45 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 25°45 चित्रा , 1 पे
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 16:30 – 17:49 अशुभ
यम घंटा 12:30 – 13:50 अशुभ
गुली काल 15:10 – 16: 30अशुभ
अभिजित 12:09 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 16:24 – 17:07 अशुभ
वर्ज्यम 19:34 – 21:13 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 07:11 – 08:31 अशुभ
चर 08:31 – 09:51 शुभ
लाभ 09:51 – 11:11 शुभ
अमृत 11:11 – 12:30 शुभ
काल 12:30 – 13:50 अशुभ
शुभ 13:50 – 15:10 शुभ
रोग 15:10 – 16:30 अशुभ
उद्वेग 16:30 – 17:49 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:49 – 19:30 शुभ
अमृत 19:30 – 21:10 शुभ
चर 21:10 – 22:50 शुभ
रोग 22:50 – 24:30* अशुभ
काल 24:30* – 26:11* अशुभ
लाभ 26:11* – 27:51* शुभ
उद्वेग 27:51* – 29:31* अशुभ
शुभ 29:31* – 31:11* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 07:11 – 08:05
शुक्र 08:05 – 08:58
बुध 08:58 – 09:51
चन्द्र 09:51 – 10:44
शनि 10:44 – 11:37
बृहस्पति 11:37 – 12:30
मंगल 12:30 – 13:24
सूर्य 13:24 – 14:17
शुक्र 14:17 – 15:10
बुध 15:10 – 16:03
चन्द्र 16:03 – 16:56
शनि 16:56 – 17:49
🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:49 – 18:56
मंगल 18:56 – 20:03
सूर्य 20:03 – 21:10
शुक्र 21:10 – 22:17
बुध 22:17 – 23:24
चन्द्र 23:24 – 24:30
शनि 24:30* – 25:37
बृहस्पति 25:37* – 26:44
मंगल 26:44* – 27:51
सूर्य 27:51* – 28:58
शुक्र 28:58* – 30:04
बुध 30:04* – 31:11
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
मकर > 05:52 से 07:50 तक
कुम्भ > 07:50 से 09:08 तक
मीन > 09:08 से 10:38 तक
मेष > 10:38 से 12:20 तक
वृषभ > 12:20 से 14:18 तक
मिथुन > 14:18 से 16:30 तक
कर्क > 16:30 से 18:50 तक
सिंह > 18:50 से 21:02 तक
कन्या > 21:02 से 23:18 तक
तुला > 23:18 से 01:22 तक
वृश्चिक > 01:22 से 03:34 तक
धनु > 03:34 से 05:50 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
11 + 1 + 1 = 13 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 07:26 से रात्रि 19:27 तक
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