बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

 

भारत सरकार ने बिहार के दूसरे मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने का एलान किया गया है। बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर का निधन 1988 में हो गया था। कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जा रहा है। 24 जनवरी 2024 को उनकी 100वीं जयंती है।
कर्पूरी ठाकुर की पहचान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ के रूप में रही है। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। उनके पास खुद का घर तक नहीं था। 70 के दशक में सरकार सस्ती दर पर आवास दे रही थी मगर उन्होंने साफ मना कर दिया। उनके निधन के बाद संयुक्त प्रदेश (विभाजन से पूर्व उत्तर प्रदेश) के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा उनके गांव गए। उनकी पुस्तैनी झोपड़ी देखकर रोने लगे थे।
कर्पूरी ठाकुर को रिक्से से आते जाते देखा जा सकता था। उनके पास खुद की कार नहीं थी। 80 के दशक में इन्होंने अपने ही दल के एक विधायक के पास नोट भेजकर जीप मांगी मगर विधायक ने उसी नोट पर लिख भेजा मेरी जीप में तेल नहीं है।
साधारण नाई परिवार में जन्मे कर्पूरी ठाकुर ने पूरी जिंदगी कांग्रेस विरोधी राजनीति की और अपना सियासी मुकाम हासिल किया। यहां तक कि आपातकाल के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार नहीं करवा सकी थीं।
कर्पूरी ठाकुर 1970 में पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 22 दिसंबर 1970 को उन्होंने पहली बार राज्य की कमान संभाली थी। उनका पहला कार्यकाल महज 163 दिन का रहा था। 1977 की जनता लहर में जब जनता पार्टी को भारी जीत मिली तब भी कर्पूरी ठाकुर (दूसरी बार) बिहार के मुख्यमंत्री बने। अपना यह कार्यकाल भी वह पूरा नहीं कर सके। इसके बाद भी महज दो साल से भी कम समय के कार्यकाल में उन्होंने समाज के दबे-पिछड़ों लोगों के हितों के लिए काम किया।
उन्होंने बिहार में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त की। राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बना दिया। उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक में तमाम काम किए।
जब लालू यादव बिहार की सत्ता में आए तो उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के कामों को आगे बढ़ाया। वहीं, नीतीश कुमार ने भी अति पिछड़े समुदाय के हक में कई काम किए।
बिहार में पिछड़ों और अतिपिछड़ों की आबादी करीब 52 प्रतिशत है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी पकड़ बनाने के मकसद से कर्पूरी ठाकुर का नाम लेते रहते हैं। यही वजह है कि 2020 में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ‘कर्पूरी ठाकुर सुविधा केंद्र’ खोलने का ऐलान किया था।

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