नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:- 24/01/2024, बुधवार
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष,
पौष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——— चतुर्दशी 21:49:27 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— पुनर्वसु 32:15:27
योग———— वैधृति 07:38:08
करण————– गर 09:11:18
करण———- वणिज 21:49:27
वार———————– बुधवार
माह————————- पौष
चन्द्र राशि—— मिथुन 25:45:53
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि——————- मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————— शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————- 2080
शक संवत—————— 1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:10:39
सूर्यास्त—————- 17:51:54
दिन काल————- 10:41:15
रात्री काल————- 13:18:25
चंद्रोदय—————- 16:31:43
चंद्रास्त—————- 31:01:45
लग्न—- मकर 9°21′ , 279°21′
सूर्य नक्षत्र————- उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र—————— पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
के—- पुनर्वसु 12:50:52
को—- पुनर्वसु 19:17:41
हा—- पुनर्वसु 25:45:53
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मकर 09:10, उ o षाo 4 जी
चन्द्र=मिथुन 20:30 , पुनर्वसु 1 के
बुध =धनु 18:53′ पू o षाo 2 धा
शु क्र=धनु 06°05, मूल ‘ 2 यो
मंगल=धनु 20 °30 ‘ पू oषाo’ 3 फा
गुरु=मेष 12°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 11°40 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 25°30 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 25°30 चित्रा , 1 पे
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 12:31 – 13:51 अशुभ
यम घंटा 08:31 – 09:51 अशुभ
गुली काल 11:11 – 12: 31अशुभ
अभिजित 12:10 – 12:53 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:10 – 12:53 अशुभ
वर्ज्यम 19:18 – 21:01 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 07:11 – 08:31 शुभ
अमृत 08:31 – 09:51 शुभ
काल 09:51 – 11:11 अशुभ
शुभ 11:11 – 12:31 शुभ
रोग 12:31 – 13:51 अशुभ
उद्वेग 13:51 – 15:12 अशुभ
चर 15:12 – 16:32 शुभ
लाभ 16:32 – 17:52 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 17:52 – 19:32 अशुभ
शुभ 19:32 – 21:12 शुभ
अमृत 21:12 – 22:51 शुभ
चर 22:51 – 24:31* शुभ
रोग 24:31* – 26:11* अशुभ
काल 26:11* – 27:51* अशुभ
लाभ 27:51* – 29:31* शुभ
उद्वेग 29:31* – 31:10* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 07:11 – 08:04
चन्द्र 08:04 – 08:58
शनि 08:58 – 09:51
बृहस्पति 09:51 – 10:44
मंगल 10:44 – 11:38
सूर्य 11:38 – 12:31
शुक्र 12:31 – 13:25
बुध 13:25 – 14:18
चन्द्र 14:18 – 15:12
शनि 15:12 – 16:05
बृहस्पति 16:05 – 16:58
मंगल 16:58 – 17:52
🚩होरा, रात
सूर्य 17:52 – 18:58
शुक्र 18:58 – 20:05
बुध 20:05 – 21:12
चन्द्र 21:12 – 22:18
शनि 22:18 – 23:25
बृहस्पति 23:25 – 24:31
मंगल 24:31* – 25:38
सूर्य 25:38* – 26:44
शुक्र 26:44* – 27:51
बुध 27:51* – 28:57
चन्द्र 28:57* – 30:04
शनि 30:04* – 31:10
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
मकर > 05:40 से 07:38 तक
कुम्भ > 07:38 से 08:56 तक
मीन > 08:56 से 10:26 तक
मेष > 10:26 से 12:08 तक
वृषभ > 12:08 से 14:06 तक
मिथुन > 14:06 से 16:18 तक
कर्क > 16:18 से 18:38 तक
सिंह > 18:38 से 20:50 तक
कन्या > 20:50 से 23:06 तक
तुला > 23:06 से 01:10 तक
वृश्चिक > 01:10 से 03:22 तक
धनु > 03:22 से 05:38 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 4 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 21:49 से प्रारम्भ
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