इसरो ने आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान पर ‘मैग्नेटोमीटर बूम’ सफलतापूर्वक तैनात किया

राष्ट्रीय जजमेंट

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए तैयार किये गये ‘मैग्नेटोमीटर बूम’ को आदित्य-एल1 उपग्रह पर सफलतापूर्वक तैनात कर दिया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि छह मीटर लंबे ‘मैग्नेटोमीटर बूम’ को 11 जनवरी को ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर ‘हालो’ कक्षा में तैनात किया गया था। यह ‘आदित्य-एल1’ के प्रक्षेपण के बाद से 132 दिन तक संग्रहीत स्थिति में था। ‘मैग्नेटोमीटर बूम’ एक वैज्ञानिक उपकरण है जिसका उपयोग मैग्नेटोस्फीयर (चुम्बकीय क्षेत्र) का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। इसरो के अनुसार ‘मैग्नेटोमीटर’ में अत्याधुनिक और उच्च सटीकता वाले चुंबकीय सेंसर के दो सेट होते हैं। इसने कहा, ‘‘सेंसर अंतरिक्ष यान से तीन और छह मीटर की दूरी पर स्थापित किए गए हैं।

इन दूरियों पर उन्हें स्थापित करने से माप पर अंतरिक्ष यान द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव कम हो जाता है, और उनमें से दो का उपयोग करने से इस प्रभाव का सटीक अनुमान लगाने में सहायता मिलती है। दोहरी सेंसर प्रणाली अंतरिक्ष यान के चुंबकीय प्रभाव को खत्म करने में सहायक होती है।’’ इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले सौर मिशन यान ‘आदित्य एल1’ को छह जनवरी को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित करा दिया था। ‘आदित्य एल1’ का दो सितंबर, 2023 को सफल प्रक्षेपण किया गया था।

‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए तैयार किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More