पार्टी के सामने करो या मरो की स्थिति है, गुटबाजी नही चलेगी: ज्योतिरादित्य सिंधिया

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कानपुर। कांग्रेस महासचिव व यूपी वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजधानी में बुधवार रात करीब साढ़े 12 बजे कानपुर लोकसभा की नगर इकाई के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। पदाधिकारियों से सिंधिया ने पूछा कि, एक ऐसा कार्य बताइए जो पार्टी के लिए किया गया हो?
यह सुनते ही लोग बगले झांकने लगे। सख्त लहजे में सिंधिया ने गुटबाजी से दूर रहने की नसीहत दी। कहा कि, इस वक्त पार्टी के सामने करो या मरो की स्थिति है। पार्टी रहेगी तो हम और आप रहेंगे।
महानगर अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि ज्योतिरादित्या सिंधिया ने कहा कि गुटबाजी सिर्फ कानपुर में ही नही बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और देश में है। मध्य प्रदेश में भी गुटबाजी हावी है। लेकिन चुनाव के वक्त सभी ने गुटबाजी छोड़कर एकजुट होकर संगठन के लिए काम किया गया।
इसका नतीजा देखिए, हमने पार्टी की प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की। उन्होंने सभी सभी से मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की अपील की है।
कानपुर कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। यही वजह रही है कि, पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल लगातार तीन बार सांसद रहे। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की गुटबाजी कांग्रेस पार्टी की हार की वजह बनी।
मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल भाजपा के नेता डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी से 2,22,946 वोटों से हार गए। इस गुटबाजी से कांग्रेस पार्टी उबर नही पाई। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी गुटबाजी देखने को मिली। जिसका नतीजा यह रहा कि कानपुर की 10 विधानसभा सीटो में से कांग्रेस की झोली में एक सीट गई।
बीते साल अप्रैल माह में कार्यकर्ता सम्मलेन में दो नेताओं के बीच गुटबाजी सबके सामने आई थी। प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और गुलाम नबी आजाद के सामने ही दो गुटों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे।
एक दूसरे को गाली गलौज करते हुए मारपीट की थी। कानपुर में कांग्रेस के इन दिनों तीन गुट चल रहे हैं। तीनो ही गुट एक दूसरे के धुर विरोधी हैं और आने वाले लोक सभा चुनाव में टिकट की मांग कर रहे हैं।

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