पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर जेएनयू में अभाविप ने आयोजित की मेस टॉक

जेएनयू में संदेशखाली की महिलाओं के समर्थन में बोले सुकांता मजूमदार और सुवेंदु अधिकारी

नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जेएनयू इकाई ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर के कोयना मेस में “सन्नाटे का शोर: पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ राजनीतिक हिंसा की वास्तविकता” विषय पर एक मेस टॉक का आयोजन किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की समस्या पर छात्र समुदाय का ध्यान आकर्षित कराना और इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा देते हुए प्रताड़ित महिलाओं के लिए न्याय सुनिश्चित कराना था। कार्यक्रम में मुख्य और वक्ता अतिथि के रूप में डॉ. सुकांता मजूमदार, लोक सभा सांसद और बीजेपी बंगाल के अध्यक्ष एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में नंदीग्राम से विधायक और पश्चिम बंगाल विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने चर्चा में हिस्सा लिया और खुल कर जेएनयू के छात्रों से बात की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जेएनयू में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल एक्सक्लूशन एंड इंक्लूसिव पॉलिसी के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रणव कुमार ने की।

सुकांता मजूमदार ने कहा, बंगाल का संदेशखाली नर्क से कम नहीं है जहां अत्यंत बर्बर अत्याचार महिलाओं को सहना पड़ रहा है। अपनी बात कहते हुए एक वयोवृद्ध महिला ने बताया कि उसने अपनी बहु को मध्यप्रदेश काम करने के लिए भेज दिया है। कारण पूछने उसने बताया की इसकी बहू सुंदर है, यदि संदेशखाली में रखते तो टीएमसी के लोग इससे उठा ले जाते और उसका तब तक बलात्कार करते जबतक उनका जी नही भर जाता। इतनी अत्यंत बर्बर एवं दुरूह परिस्थिति में रहने के बावजूद साहस करते हुए वहां की महिलाएं जिस तरह आकर अपनी पीड़ा मीडिया को बता रही है, वह उनकी पीड़ा की पराकाष्ठा को बता रहा। लंबे समय से वह न्याय के लिए पुलिस प्रशासन को अपनी बात बताने का प्रयास कर रही थीं लेकिन प्रशासन भी टीएमसी के साथ मिला होने के कारण महिलाओं को चुप रहने की धमकी मिल रही थी।

जेएनयू के प्रतिभावान छात्रों की सशक्त आवाज पूरे देश में सुनी जाती है, इसलिए हम संदेशखाली की महिलाओं का कष्ट लेकर आपसे चर्चा करने आए हैं ताकि उन शोषित महिलाओं की आवाज आप देश के कोने कोने तक पहुंचा सकें एवं उन्हें न्याय सुनिश्चित हो सके। बंगाल भी जेएनयू के वामपंथी गुटों की तरह हो चुका है, जिस प्रकार जेएनयू के वामपंथी अपने बलात्कारी कॉमरेडो को बचाने के लिए कार्य करते हैं वैसे की बंगाल में टीएमसी अपने बलात्कारी नेताओं को बचाने के लिए संदेशखाली में धारा 144 लगा कर शेख शाहजहां एवं अन्य ऐसे बलात्कारी नेताओं को बचाने और पीड़ित परिवारों को धमकाने का काम कर रही है। संदेशखाली में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के आरोपी शाहजहाँ शेख पर तत्काल कार्रवाई हो और हमें विश्वास है की हमारी पीड़ित बहनों को न्याय दिलाने हेतु जेएनयू के युवा आवाज उठाएंगे। हम विद्यार्थी परिषद के आभारी है की जेएनयू जैसे संस्थान में हमें हमारी संदेशखाली की बहनों की आवाज रखने का मौका दिया।”

सुवेंदु अधिकारी ने कहा, ” पश्चिम बंगाल को तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी गुंडों ने जकड़ लिया है। ममता राज्य में रोज लोकतंत्र की हत्या हो रही है और देशभर के सेक्युलर इस विषय में चुप्पी साधे हुए हैं। परन्तु समय आने पर जनता इसका न्याय करेगी। संदेशखाली की मन विचलित करने वाली घटना केवल एक घटना नहीं नही, पूरे बंगाल में टीएमसी के गुंडों का अत्याचार जारी है। बंगाल की डैमोग्राफी बहुत शीघ्र परिवर्तित हो रहा है। यह सब सुनियोजित ढंग से ममता सरकार किया जा रहा है। शेख शाहजहां ने राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की स्क्रीन को हमला करते हुए रुकवाया था और धमकी दी थी की यदि स्क्रीनिंग हुई तो वहां के लोग अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे। जाधवपुर यूनिवर्सिटी में टीएमसी के लोग 26 जनवरी, सरस्वती पूजा आदि भी करने नही देते और छात्रों को धमकी देते हैं।”

गौरतलब है कि संदेशखाली, पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का एक गांव है, जहां फरवरी 2024 में महिलाओं ने धमकियों और प्रताड़ना के बावजूद अपने यौन उत्पीड़न की बात मीडिया के सामने रखीं। कुछ महिलाओं को उनके गांव मे कुछ लोगों द्वारा यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता था। तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख और उनके दो साथी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार पर हैं। महिलाओं ने बताया शाहजहां शेख और तृणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर सर्वे करते थे। अगर किसी घर में कोई खूबसूरत महिला या लड़की होती तो उन्हें उठाकर पार्टी ऑफिस लाते थे और यहाँ इनका यौन उत्पीड़न किया जाता था। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी और उनके पतियों की पिटाई भी की जाती थी।

 

 

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