झारखंड सरकार ने शहीद विजय सोरेंग के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, 10 लाख रुपए देने की घोषणा

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गुमला। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार शाम सुरक्षाबलों पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। इसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। शहीदों में झारखंड स्थित गुमला जिले के विजय सोरेंग (43) भी शामिल हैं। इधर, शहीद के पिता बिरीश सोरेंग ने कहा कि मुझे गर्व है मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ पर सरकार को जल्द से जल्द इसका बदला लेना चाहिए।
वहीं, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पुलवामा में शहीद हुए गुमला निवासी विजय सोरेंग के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और परिवार को दस लाख रुपए की अनुग्रह राशि दिए जाने की घोषणा की है।

 

गुमला के बसिया प्रखंड के बसिया फरसमा गांव के विजय सोरेंग सीआरपीएफ में हवलदार के पद पर तैनात थे। उन्होंने गुरुवार दोपहर 12 बजे ही पत्नी बिमला से फोन पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि बर्फबारी के बाद श्रीनगर का रास्ता दो दिन से बंद था। अजा ही खुला है। हम लोग श्रीनगर जा रहे हैं। पता नहीं लौट पाएंगे कि नहीं, कुछ कह नहीं सकते। बच्चों और घर के सभी लोगों का ख्याल रखना।
विजय के भाई संजय महतो ने बताया कि विजय एक फरवरी को 8 दिन की छुट्‌टी लेकर घर आए थे। विजय के पांच बच्चे हैं। दो लड़के और तीन लड़कियां। सबसे बड़ा बेटा 16 साल का है। सबसे छोटी बेटी 2 साल की है। पिता बिरीश सोरेंग और भाई संजय किसान हैं। खबर मिलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीण शहीद के घर पर जमा होकर परिवार को दिलासा दे रहे हैं।

1974 में जन्मे विजय सोरेंन चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उन्होंने गांव के ही आरसी प्राथमिक विद्यालय में चौथी कक्षा तक की पढ़ाई करने के बाद सिमडेगा जिला के बानो प्रखंड स्थित लचरागढ़ में अपने मामा कमल महतो  के घर पर रहकर आठवीं की पढ़ाई पुरी की। कुम्हारी हाई स्कूल से मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद 1991 में गोसनर कॉलेज रांची में इंटर की पढ़ाई कर रहे थे। तभी बनई बरटोली गांव की कर्मेला बा के साथ विवाह हुआ।
प्रशिक्षण के बाद एसपीजी कमांडो बने
इंटरमीडियट की पढ़ाई के दौरान ही 1993 में शहीद विजय सोरेन का सीआरपीएफ में जॉब हुआ। पहली पोस्टिंग श्रीनगर में हुई। प्रशिक्षण के बाद वे एसपीजी कमांडो बने। इस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल के बेटी व दामाद का बॉडी गार्ड बनकर ड्यूटी निभाई। इसके बाद उन्हें स्पेशल ब्रांच में पदस्थापित कर झारखंड वापस बुला लिया गया। करीब तीन माह पूर्व उन्हें पुन: श्रीनगर वापस बुला लिया गया। मगर बर्फ बारी के कारण श्रीनगर हाइवे बंद होने पर अधिकारियों के निर्देश पर वे पांच फरवरी को वापस पैतृक गांव लौट आए थे। इसके बाद पुन: हाइवे के खुलने की सूचना के बाद आठ फरवरी को वापस श्रीनगर बुला लिया गया।

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