नई दिल्ली: दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक का फर्जी आधार कार्ड बनाने के आरोप में गुजरात से एक एजेंट को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने बांग्लादेशी नागरिक को रूस भेजने के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट की व्यवस्था की थी। गिरफ्तार आरोपी एजेंट की पहचान 64 वर्षीय मुल्तानी रफीक मोहम्मद निवासी वापी, गुजरात के रुप में हुई है। गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिक की पहचान 35 वर्षीय मोहम्मद फारूक मोल्ला के रुप में हुई है।
आईजीआई एयरपोर्ट डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि बीती 22 फरवरी को फारुक खान नाम का एक व्यक्ति रूस से दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे पर पहुंचा। यात्रा दस्तावेजों की जांच के दौरान, वह बांग्लादेश का नागरिक पाया गया, जिसका नाम मोहम्मद फारुक मोल्ला था, जिसने धोखाधड़ी से भारतीय पासपोर्ट बनवाया था। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
जांच के दौरान, आरोपी मोहम्मद फारुक मोल्ला ने बताया कि वह बांग्लादेश का नागरिक है और दर्जी का काम करता है। वो अधिक पैसा कमाने के लिए मेघायला सीमा से अवैध रूप से भारत में आया l। इसके बाद तमिलनाडु में 6-7 महीने तक काम किया। 2022 में, वह बेंगलुरु में एक सिलाई की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। जहां रफीक मोहम्मद भाई नाम के एक एजेंट के संपर्क में आया, जिसने उसे अच्छी कमाई के लिए रूस जाने का कहां और उसे 2 लाख रुपये के बदले में सभी दस्तावेजों की व्यवस्था करके उसे रूस भेजने को कहां। इसके बाद एजेंट रफीक मोहम्मद ने अपने एक सहयोगी की मदद से बेंगलुरु के फर्जी पते पर भारतीय आधार कार्ड की व्यवस्था की। इसके बाद वो गुजरात पहुंचा, जहां एजेंट ने उसके आधार कार्ड का पता बदलकर गुजरात कर दिया और उसके लिए पासपोर्ट बनवाया। 2023 में, एजेंट के कहने पर, आरोपी 3-4 महीने के लिए जैतपुर, दिल्ली में रहा, जहां से दस महीने के लिए रूस के लिए उसके कार्य वीजा की व्यवस्था एजेंट ने अपने सहयोगियों की मदद से की थी। इसके बाद वह रूस चला गया और वापसी के दौरान उसे दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर पर पकड़ लिया गया।
आगे की जांच के दौरान एजेंट के मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया, तो वह बंद पाया गया और यह पता चला कि उक्त नंबर एक गलत आईडी पर जारी किया गया था। इसके बाद टीम ने गुजरात जाकर आरोपी एजेंट के संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर बापी से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ करने पर उसने अपना अपराध कबूल किया और आगे खुलासा किया कि वह अपने सहयोगियों की मदद से बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय पहचान देने के लिए उनके लिए फर्जी भारतीय दस्तावेज बनाता था और उन्हें विदेश भेजने के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट की व्यवस्था करता था। अन्य एजेंटों का पता लगाने और आरोपी के बैंक खातों की जांच की जा रही है।
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