नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल ने दो गैर-सरकारी सदस्यों को दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड से तुरंत बर्खास्त करने का आदेश दिया है। यह दोनों सदस्य डूसिब के विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे थे। इन दोनों के पास जरूरी योग्यता और विशेषज्ञता नहीं थी। बताया जा रहा है कि दोनों ही शहरी नियोजन और झुग्गी-झोपड़ियों से जुड़े मामलों में काम कर रहे थे।
बता दें कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड का गठन साल 2010 में किया गया था। यह बोर्ड दिल्ली सरकार के अंतर्गत काम करता है। यब बोर्ड मूल रूप से झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुविधाएं प्रदान करता है और उनके पुनर्वास का इंतजाम भी करता है। यह बोर्ड उन क्षेत्रों को स्लम क्षेत्र घोषित करता है जो लोगों के रहने के लिए पूरी तरह से उपयुक्त नहीं है। एलजी ने इसी बोर्ड से संबंधित दो सदस्यों को बर्खास्त करने का आदेश दिया है।
एलजी वीके सक्सेना ने डूसिब अधिनियम, 2010 की धारा 4(2) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया और डूसिब के दो सदस्यों की सेवाओं को समाप्त करने का आदेश दिया है। बिपिन कुमार राय पिछले नौ वर्षों से विशेषज्ञ सदस्य की भूमिका निभा रहे हैं और अमरेंद्र कुमार को मार्च 2022 में गैर-सरकारी सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। ये दोनों कानून का उल्लंघन कर मोटा पारिश्रमिक पा रहे थे।
बिपिन राय और ए के गुप्ता दोनों को विशेषज्ञ सदस्यों के रूप में नियुक्त करने के बजाय, डूसिब ने उन्हें बोर्ड के अधिकारियों के रूप में उपयोग किया और अपने आदेश के अनुसार उन्हें काम आवंटित करने के आदेश जारी किए। जबकि बिपिन राय की निगरानी में रैन बसेरे संचालन करने वाली एजेंसियों के साथ समन्वय और निगरानी कर रहे थे। ए के गुप्ता इंजीनियरिंग और सीईओ की निगरानी में जन सुविधा परिसरों के प्रबंधन और संचालन में थे।
इससे पहले के एक्सपर्ट ए के गुप्ता, जो डीयूएसआईबी से एक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे, नियुक्ति के समय उनकी आयु 65 वर्ष से अधिक थी और उन्होंने 72 वर्ष की आयु तक काम किया, जो कि सरकारी मानदंडों का उल्लंघन था।
बिपिन राय शुरू में 70,000 रुपये प्रति माह के वेतन पर कार्यरत थे जिसे बढ़ाकर 80,500 रुपये और आगे 98,520 रुपये कर दिया गया। अमरेंद्र कुमार को प्रति माह 98,250 रुपये के पारिश्रमिक पर नियुक्त किया गया था। यह डीयूएसआईबी अधिनियम की धारा 52(2)(ए) का उल्लंघन था।
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