ड्रग्स तस्करी का मास्टरमाइंड फिल्म निर्माता जाफर सादिक गिरफ्तार

नई दिल्ली: साउथ इंडस्ट्री के फिल्म प्रोड्यूसर को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में तमिलनाडु स्थित नशीले पदार्थों के कथित डीलर जाफर सादिक को गिरफ्तार किया है। जाफर पर आरोप है कि उन्होंने साढ़े तीन हजार किलो सुडो एफिड्रिन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भेजा था। ड्रग्स से कमाए पैसों को आरोपी जाफर सादिक फिल्म इंडस्ट्री में लगाता है। बता दें कि जाफर सादिक डीएमके के एनआरआई विंग के चेन्नई पश्चिम उप आयोजक था। अब उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क के कथित मास्टरमाइंड के रूप में गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि तमिल फिल्म निर्माता का 2 हजार करोड़ के ड्रग रैकेट से कनेक्शन है।

एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया कि एनसीबी की ऑपरेशन यूनिट ने इंटरनेशनल ड्रग्स तस्करी के गिरोह के सरगना जाफर सादिक को पकड़ा है। इस नेटवर्क के तार भारत, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया तक फैले हुए हैं। जाफर सादिक स्यूडोएफेड्रिन ड्रग्स को न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया तक भेजते था। बीते 15 फरवरी को एनसीबी ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के साथ मिलकर एक ऑपरेशन किया था। जिसमें 50 किलो स्यूडोएफेड्रिन ड्रग्स बरामद की थी। साथ ही तीन आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था।

ज्ञानेश्वर सिंह ने बताया कि तीनों आरोपियों से सख्ती से पूछताछ में मास्टर माइंड जफर सादिक के बारे में पता चला। आरोपी फिल्म निर्माण का दिखावा कर उसके पीछे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स तस्करी करता था। जफर खुद को चेन्नई वेस्ट डिस्ट्रिक्ट डीएमके के एनआरआई विंग का उप प्रमुख बताता है। प्रारंभिक जांच में, उसने खुलासा किया था कि उसने मादक पदार्थों की तस्करी के माध्यम से बहुत कमाई की। इसे उसने फिल्म निर्माण जैसे कई उद्योगों में निवेश किया। इसके मॉड्यूल विदेशों में भी हैं। इसकी जांच के लिए हम ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं। जल्द ही विदेशों में बैठे गुर्गों को भी पकड़ लिया जाएगा। आरोपी माफिया के ड्रग सिंडिकेट ने पिछले 3 वर्षों में स्यूडोएफेड्रिन ड्रग्स की 45 खेप विभिन्न देशों में भेजी है। उसके कई सहयोगी हैं जिनकी पहचान की जा रही है।

स्यूडोएफेड्रिन ड्रग्स का उपयोग मेथामफेटामाइन के निर्माण में किया जाता है, जो एक खतरनाक ड्रग्स है। इसके कुछ कानूनी उपयोग हैं। इसे भारत में एक नियंत्रित पदार्थ के रूप में वर्गीकृत किया गया है, इसके उत्पादन, कब्जे, व्यापार, निर्यात और उपयोग पर सख्त नियम है। एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत इसका अवैध स्टॉक और व्यापार करने पर 10 साल तक की सज़ा हो सकती है।

 

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