राम नवमी के मौके पर राम जानकी की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, जानिए खासियत

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

राम नवमी का त्योहार 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। राम नवमी के मौके पर जहां देश भर के राम मंदिरों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। वहीं छत्तीसगढ़ के कुलीपोटा गांव में खास तैयारी की गई है। राम नवमी के मौके पर कुलीपोटा गांव में राम नवमी के दिन ही श्रीराम और माता जानकी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए तैयारी जोरों से जारी है। ये मंदिर कुलीपोटा में स्थित श्री सिद्ध दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर है, जो शहर से तीन किलोमीटर दूर है। इस हनुमान मंदिर में राम नवमी के मौके पर खास कार्यक्रम होने हैं, जिसे लेकर कई तरह की तैयारियां की जा रही है। इसे लेकर चार राज्यों के कारीगर काम में जुटे हुए है। चौत्र नवरात्र के मौके पर यहां खास आयोजन भी किया जाएगा। राम नवमी के मौके पर इस मंदिर में भगवान श्रीराम-जानकी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है।इसे लेकर मंदिर के प्रांजल खेमुका का कहना है कि कुलीपोटा में 30 सालों से श्री दक्षिणमुखी हनुमान जी विराजित है। इस मंदिर का हाल ही में जीर्णाेधार किया गया है। मंदिर परिसर मे अब राम नवमी के शुभ मौके पर ही श्रीराम और माता जानकी की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके लिए मंदिर में विविध आयोजन किए जा रहे है। इस प्राण प्रतिष्ठा से पहले 16 अप्रैल को कलश शिखर स्थापना और शय्याधिवास किया जाएगा। इसके बाद श्रीराम मंदिर नगर भ्रमण और शोभायात्रा निकाली जाएगी।राम नवमी के दिन यानी 17 अप्रैल को ही सुबह 10.35 बजे से 11.55 बजे तक श्रीराम जानकी की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद दोपहर एक बजे से पूर्णाहुति की जाएगी। महा आरती, ब्राह्मण भोज, प्रसाद वितरण, भंडारा और भजन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसके अगले दिन ही 18 अप्रैल को अखंड राम मान हरि संकीर्तन सप्ताह की शुरुआत होगी। ये संकीर्तन 25 अप्रैल तक आयोजित होगा। इस संकीर्तन में छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों की कीर्तन मंडली भी आएंगी। इस वर्ष 23 अप्रैल को ही श्री हनुमान जन्मोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसे भी धूमधाम से मनाया जाएगा।मंदिर में श्रीराम जानकी की शानदार और मनोहर प्रतिमा को लगाया जाएगा। ये प्रतिमा राजस्थान के जयपुर के कलाकारों द्वारा निर्मित है। इस मूर्ति को बनाने में उत्तम संगमरमर का उपयोग हुआ है। मूर्ति लगभग 4.5 फीट की है। इस प्रतिमा का वजन लगभग नौ क्विंटल है। प्रतिमा निर्माण में वैदिक मर्यादा का भी खास ख्याल रखा जाता है। मंदिर के मुख्यद्वार को कोलकाता व महाराष्ट्र के कारीगर के तैयार कर रहे है। इसकी नक्काशी को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। मंदिर में कांच से होने वाला निर्माण कार्य भी जारी है, जिसके लिए कारीगरों को बुलाया गया है।

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