कब तक लालू-राबड़ी राज की कहानी सुनाते रहेंगे मोदी और नीतीश, कुछ अपना भी तो बताइए

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दंगल जबरदस्त तरीके से जारी है। इन सबके बीच चुनावी प्रचार अब चरम पर पहुंच चुका है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है। बिहार में भी चार सीटों पर वोट डाले जाएंगे। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में चुनावी प्रचार के लिए पहुंचे थे। गया और पूर्णिया में उन्होंने प्रचार किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निशाने पर लालू यादव और राजद की पुरानी सरकार रही। नरेंद्र मोदी हो या फिर नीतीश कुमार, लगातार बिहार के लोगों को यह याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि लालू और राबड़ी राज में बिहार में किस तरीके से गुंडाराज था, लूटपाट थी, भ्रष्टाचार था। लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि 2005 से जितन राम मांझी के 9 महीने के कार्यकाल को छोड़ दें तो नीतीश कुमार ही राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके अलावा लगभग 5 साल छोड़ दे तो वह 13 से 14 साल तक भाजपा के साथ ही गठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में सवाल यही है कि मोदी हो या नीतीश कुमार, दोनों अपने गठबंधन में बिहार में किए गए काम को कब बताएंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल के दिनों में जब भी बिहार से संबंधित किसी कार्यक्रम को संबोधन दिया है तो उसमें लालू यादव के जंगल राज का जिक्र जरूर किया है। पिछले दिनों उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को कहा था कि आप युवाओं को बताएं कि लालू यादव के समय बिहार में कैसा जंगल राज था। इसके अलावा आज भी उन्होंने लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी की सरकार का जिक्र किया और कहा कि घमंडिया अलायंस के पास न कोई विजन है, न कोई विश्वास है। ये लोग जब वोट मांगने जाते हैं, तो भी नीतीश जी के कामों पर वोट मांगते हैं। ये लोग क्यों नीतीश जी और केंद्र सरकार के कामों का क्रेडिट खाते हैं, वो पूरा बिहार जानता है। उन्होंने कहा रि त्श्रक् ने भी इतने वर्षों तक बिहार पर राज किया है। लेकिन इनकी हिम्मत नहीं है कि अपनी सरकारों ने क्या काम किए, उसकी चर्चा कर लें। बिहार में जंगलराज का सबसे बड़ा चेहरा राजद है। बिहार में भ्रष्टाचार का दूसरा नाम राजद है। बिहार की बर्बादी की सबसे बड़ी गुनाहगार राजद है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि त्श्रक् ने बिहार को केवल दो ही चीजें दी हैं- जंगलराज, और भ्रष्टाचार! नीतीश कुमार भी लगातार कह रहे हैं कि 2005 से पहले बिहार में कुछ था। मैं ही आया तो सब कुछ किया। 2005 से पहले 5 बजते ही घर से बाहर कोई नहीं निकलता था। लेकिन अब सब कुछ बढ़िया हो गया है। नीतीश भी लोगों से बार-बार कह रहे हैं कि 2005 से पहले की स्थिति आप मत भूलिएगा। तेजस्वी भी पलटवार करने में पीछे नहीं है। वह बार-बार कह रहे हैं कि लालू यादव ने बिहार में गरीबों और पिछड़ों को आवाज दी। उनके हक की लड़ाई लड़ी। लालू यादव गरीबों के मसीहा बनकर उभरे। इसके अलावा उप मुख्यमंत्री रहते हुए तेजस्वी ने जो भी कामकाज किया है, उसका भी बखान कर रहे हैं। वह बार-बार कह रहे हैं कि भाजपा जदयू की 17 साल के कार्यकाल पर उनका 17 महीने में किया गया कार्य भारी है। राजद की ओर से दावा किया जा रहा है कि वह तेजस्वी यादव ही थे जिन्होंने बिहार में रोजगार की गारंटी दी और लोगों को नौकरियां दी गई है। तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी श्जंगल राज टिप्पणीश् के लिए पलटवार किया और सवाल उठाया कि पीएम ने बिहार के लिए क्या किया। तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने आईटी नीति, पर्यटन नीति, खेल नीति बनाई। बिहार में पहली बार 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश का एमओयू साइन हुआ। उन्होंने कहा कि अगर वे (भाजपा) इसे श्जंगल राजश् कहते हैं तो मैं इस पर क्या कह सकता हूं? इसमें कोई दो राय नहीं है कि लालू-राबड़ी राज में बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ही खराब थी। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर का भी कुछ हाल अच्छा नहीं था। लेकिन 2005 में नीतीश और भाजपा की सरकार बनने के बाद बिहार में जबरदस्त परिवर्तन आया। तब से बिहार में बिजली, पानी, सड़क के क्षेत्र में कई काम हुए हैं। लेकिन कई सवाल अभी भी बरकरार है। बिहार में रोजगार के कितने अवसर सृजित हुए? बिहार में कितनी फैक्ट्री लगी? आज भी बिहार के लोगों को नौकरी करने के लिए पलायन क्यों करना पड़ता है? आज भी बिहार में पढ़ने के लिए अच्छी व्यवस्था क्यों नहीं है? क्यों बिहार के बच्चों को बाहर जाकर पढ़ाई करनी पड़ती हैं? क्यों बिहार में कृषि लगातार पिछड़ता जा रहा है? क्यों बिहार बाढ़ का सामना नहीं कर पता है? यह ऐसे सवाल है जिसका जवाब अब नीतीश कुमार और भाजपा के नेताओं को भी देना पड़ेगा। सिर्फ लालू और राबड़ी राज की कहानियों से संभव है कि वोट मिल जाए, लेकिन बिहार का विकास कितना संभव है, इस पर सवाल बना रहेगा। लालू-राबड़ी राज की कहानी बताकर भाजपा और जदयू ने 2005, 2009, 2010, 2019 और 2020 के चुनाव जीते हैं।

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