जेल से सरकार चलाने पर कानून क्या कहता है?

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

12 सदस्यों की प्रवर्तन निदेशालय की टीम 21 मार्च को शाम के सात बजे के करीब अरविंद केजरीवाल के निवास पर पहुंची थी। तभी से इस बात की आशंका जताई जाने लगी थी कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हो सकती है। अभी तक अरविंद केजरीवाल का नाम सीधे-सीधे आरोपी के रूप में सामने नहीं आया। लेकिन उन्हें समन लगातार भेजे जा रहे थे। इसे अरविंद केजरीवाल की तरफ से सवाल भी उठाए जा रहे थे कि मुझे एक गवाह या आरोपी के रूप में बुलाया जा रहा है। फिर केजरीवाल की तरफ से समन को ही गैरकानूनी बताया गया। कहा जाता है कि अरविंद केजरीवाल ने अपने पास कोई मंत्रालय नहीं रखे हैं और वो साइन नहीं करते हैं। फिर उनका नाम कैसे आया? लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि अगर किसी चुनी हुई सरकार ने कोई फैसला लिया है तो हिंदुस्तान में कलेक्टिव रिस्पॉस्ब्लिटी का सिद्धांत चलता है। जो भी सरकार का निर्णय है वो पूरे कैबिनेट का निर्णय है। उसमें कोई व्यक्ति ये नहीं कह सकता कि मैं इस निर्णय का हिस्सा नहीं था। कैबिनेट का हेड प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री होता है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली हाई कोर्ट में गिरफ्तारी से राहत के लिए गए थे। उनकी तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। कोर्ट ने कहा कि आप एक संवैधानिक पद पर होने के साथ ही भारत के नागरिक भी हैं। आपको एक एजेंसी के नोटिस पर जाने में क्या ऐतराज है? केजरीवाल के वकीलों ने ऑनलाइन शरीक होने की बात कही। इसके साथ उन्हें गिरफ्तारी की आशंका थी और इससे वो कोर्ट से राहत चाहते हैं। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि इस तरह से राहत नहीं मिल सकती है। ईडी को भी नोटिस जारी करते हुए केस प्रजेंट करने के लिए कहा। सीलबंद लिफाफे में ईडी ने जजों को दिखाया। अपने चैंबर में जजों ने उसे पढ़ने के बाद गिरफ्तारी से फौरी राहत नहीं दी। लेकिन केजरीवाल की याचिका को खारिज भी नहीं किया। वहीं अगली सुनवाई से पहले केजरीवाल गिरफ्तार हो गए। ईडी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने एक प्रासंगिक सवाल खड़ा कर दिया है: क्या कोई सरकार अपने नेता की अनुपस्थिति में चल सकती है? कानूनी पेचीदगियों के बावजूद, आम आदमी पार्टी ने कहा है कि केजरीवाल अपने कर्तव्यों का पालन करना जारी रखेंगे। वहीं दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने साफ कर दिया कि दिल्ली की जनता को यह आश्वस्त कर सकता हूं कि सरकार जेल से नहीं चलेगी। एलजी सक्सेना ने कहा कि विकसित भारत की दिशा में हम काम कर रहे हैं और लोगों को हर संभव मदद पहुंचा रहे हैं।’ एललजी ने यह भी कहा कि लोहे के चने चबाने का सही अर्थ उन्हें दिल्ली आकर पता चला। उन्होंने कहा कि आप जिस काम को करने की कोशिश करते हैं, उससे बड़ी ताकतें उस काम को रोकने का काम करती है। अगर काम को कर लिया तो कुछ ताकतें उसका क्रेडिट लेने की कोशिश करती है।
जानकार कहते हैं कि गिरफ्तारी पर इस्तीफा देने की कोई बाध्यता नहीं है, क्योंकि गिरफ्तारी होने को दोषसिद्धि नहीं माना जा सकता। ऐसे में किसी सीएम की गिरफ्तारी होने से तुरंत उनका पद नहीं जा सकता। दूसरी ओर विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि देखना होगा कि जेल से सरकार चलाना कितना प्रैक्टिकल होगा, लोकतंत्र की परंपराओं के कितना अनुरूप होगा। इसके लिए जेल नियमों से लेकर तमाम तरह के पहलुओं पर काफी कुछ निर्भर करेगा। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अधीन काम करने वाले प्रसिद्ध नौकरशाह और दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव पीके त्रिपाठी का कहना है कि तकनीकी रूप से केजरीवाल को उनके पद पर बने रहने से रोकने में कोई बाधा नहीं है, जब तक कि उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाता। एक मुख्यमंत्री को जेल के भीतर कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं, जैसे आधिकारिक फोन कॉल करना और महत्वपूर्ण दस्तावेजों तक पहुंच बनाना। जिन फ़ाइलों को उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर केजरीवाल के माध्यम से जाती हैं, उन्हें अब वैकल्पिक मार्ग की आवश्यकता होगी। वहीं संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य का कहना है कि विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी कैबिनेट मीटिंग होती हैं, लेकिन जहां तक जेल से कैबिनेट मीटिंग या मंत्रियों साथ मीटिंग का सवाल है तो इसके लिए जेल प्रशासन की मंजूरी जरूरी होगी। अगर जेल प्रशासन से मंजूरी नहीं मिलती है तो कैबिनेट की बैठक संभव नहीं हो सकती है। अगर केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते हैं तो जेल अथॉरिटी पर काफी कुछ निर्भर करेगा। अगर मुख्यमंत्री जेल से सरकार चलाना चाहेंगे और जेल अथॉरिटी इसके लिए इजाजत देगी तो ऐसा किया जा सकता है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More