शरजील इमाम को जमानत, विभव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत, हत्या के मामले में राम रहीम कैसे हुआ बरी, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या हुआ

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

अदालत ने केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा। कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया गया। दिल्ली दंगों से जुड़े राजद्रोह केस में शरजील इमाम को हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। 22 साल पुराने हत्या के मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राम रहीम को बरी किया। इस सप्ताह यानी 27 मई से 01 जून 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे। दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को शुक्रवार को यह कहते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और इसे पूरा करने में समय लगेगा। केजरीवाल के निजी सहायक कुमार ने 13 मई को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ कथित तौर पर मारपीट की थी। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गौरव गोयल ने कहा, मुझे लगता है कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और इसे पूरा करने के लिए समय की आवश्यकता होगी। दोनों पक्षों की दलीलों और मामले के तथ्यों के मद्देनजर आरोपी बिभव कुमार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है और उन्हें 14 जून को पेश किया जाए। ‘भगवान शिव को किसी के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है।’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने यमुना नदी के डूब क्षेत्र में अनधिकृत तरीके से निर्मित मंदिर को हटाने से संबंधित याचिका में भगवान शिव को पक्षकार बनाने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि यमुना नदी के तलहटी क्षेत्र और बाढ़ वाले इलाकों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाता है तो भगवान शिव अधिक प्रसन्न होंगे। अदालत ने डूब क्षेत्र के निकट गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को ध्वस्त करने संबंधी आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां कीं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित ‘कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद’ से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर विचार किये जाने या नहीं किये जाने (पोषणीयता) को लेकर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन विभिन्न याचिकाओं की पोषणीयता की सुनवाई कर रहे हैं। यह विवाद मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में मथुरा में स्थापित शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसका निर्माण भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली पर कथित तौर पर एक मंदिर को तोड़ने के बाद किया गया था। इससे पूर्व, बृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता तस्लीमा अजीज अहमदी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कहा था कि ये वाद पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 और कुछ अन्य कानूनों के प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम को गिरफ्तारी के चार साल से अधिक समय बाद बुधवार को राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों के आरोपों से संबंधित 2020 के सांप्रदायिक दंगों के एक मामले में जमानत दे दी। इमाम ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे जमानत देने से इनकार किया गया जबकि दोषसिद्धि की स्थिति में उसे दी जाने वाली अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि वह काट चुका है। उसने दावा किया कि आपराधिक कानून के तहत वह जमानत का हकदार है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने इमाम और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अपील स्वीकार की जाती है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह की 2002 में हुई हत्या के मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह और चार अन्य को मामले में दागदार और अधूरी जांच का हवाला देते हुए बरी कर दिया। उच्च न्यायालय ने यह भी माना कि मीडिया को रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन नहीं करना चाहिए। सिरसा में स्थित डेरे का प्रमुख अभी रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। वह अपनी दो शिष्याओं से दुष्कर्म के जुर्म में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है। डेरा प्रमुख के वकील जितेंद्र खुराना ने कहा कि उच्च न्यायालय ने रंजीत सिंह हत्या मामले में मेरे मुवक्किल और चार अन्य को बरी कर दिया है।

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