एन डी ए की बैठक में जयंत चौधरी को क्यों नहीं मिली मंच पर बैठने की जगह? सामने आई असली वजह

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

राजनीति में, खासकर सियासी गठबंधन में आप कहां बैठते हैं यह मायने रखता है। इसलिए, जब शुक्रवार को एनडीए संसदीय बैठक में राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी दो सांसदों के साथ मंच पर नहीं दिखे, तो इससे काफी विवाद हुआ और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। उत्तर प्रदेश में अच्छे लोकसभा चुनाव प्रदर्शन से उत्साहित समाजवादी पार्टी ने यह कहते हुए हस्तक्षेप की कि आरएलडी अध्यक्ष मंच से गायब क्यों थे और अन्य सांसदों के बीच क्यों बैठे दिखे। सपा ने भारतीय जनता पार्टी पर उंगली उठाई। सपा ने आरोप लगाया कि भाजपा की जाट समुदाय के प्रति नफरत और स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजित सिंह के प्रति झूठा सम्मान उजागर हो गया है। अगर जयंत चौधरी सच में किसान हितैषी नेता हैं तो उन्हें एनडीए से दूरी बना लेनी चाहिए और किसानों के हित में बीजेपी के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उन्हें भाजपा के साथ छोटे-छोटे प्रलोभनों के लिए अपने स्वाभिमान और किसान हितों का सौदा नहीं करना चाहिए। हालांकि, रालोद ने इसे छोटा मुद्दा बताकर खारिज कर दिया। पार्टी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और सपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया था और भाजपा से हाथ मिला लिया था।इन सब के बीच सरकार और संसद के सूत्रों ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने कहा, बैठने का एक अलग क्रम था। सूत्रों ने बताया कि एनडीए के अन्य सभी घटक दल जैसे रालोद के जयंत चौधरी, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री संसद के केंद्रीय कक्ष में बैठे थे। इस तथ्य पर भी गौर किया गया है कि एनडीए बैठक के दौरान भी दो दिनों तक पीएम नरेंद्र मोदी चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के साथ मौजूद रहे। सूत्रों ने कहा कि यह विपक्षी मोर्चे की इस कहानी का मुकाबला करने के लिए तीनों के बीच सौहार्द दिखाने का एक प्रयास है कि जो सरकार बनने वाली है वह गठबंधन की राजनीति के कारण टिक नहीं पाएगी।

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