जानिए वैश्विक षड्यंत्रों के बावजूद मोदी का विजय-रथ नहीं रुकने का अर्थ

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

भारतीय जनता पार्टी एवं उसके लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी को येन-केण प्रकारेण सत्ता से बेदखल कर देने के बावत इस बार न केवल देश भर के तमाम विपक्षी दलों ने तमाम प्रकार के हथकण्डों के साथ अब तक की चुनावी राजनीति के इतिहास का सबसे बडा अभियान चलाया। भारत की 18वीं लोकसभा के चुनाव-परिणाम से पूरी दुनिया विस्मित है, क्योंकि विपक्ष के तमाम अवांछित हथकण्डों-अफवाहों के बावजूद भारतीय राष्ट्रवाद की राजनीति के ध्वजवाहक नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बेदखल नहीं किया जा सका और विपक्षी गठबन्धन सत्ता की सुनहरी संडक तक भी नहीं पहुंच पाया। भारतीय जनता पार्टी एवं उसके लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी को येन-केण प्रकारेण सत्ता से बेदखल कर देने के बावत इस बार न केवल देश भर के तमाम विपक्षी दलों ने तमाम प्रकार के हथकण्डों के साथ अब तक (सन 1946 से 2024 तक) की चुनावी राजनीति के इतिहास का सबसे बडा अभियान चलाया, बल्कि देश के बाहर की शक्तियों ने भी बढ-चढ कर उनके उस अभियान को सत्ता की मुकाम तक पहुंचाने की सुनियोजित मुहिम चलायी; लेकिन तब भी भाजपाई राष्ट्रवादी गठबंधन का विजय-रथ पर्याप्त बहुमत प्राप्त कर सनसनाता हुआ राजपथ पर पहुंच ही गया, जबकि कांग्रेसी सम्प्रदायवादी गिरोह की गाडी किनारे की पगडण्डी पर ही खडी रह गई। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के ‘राजग’ (राष्ट्रीय जनतांत्रिक) नामक गठबंधन को सत्ता के लिए पर्याप्त से भी अधिक लगभग 300 सीटें हासिल हो गईं, तो कांग्रेस और उसके सहयोगियों के ‘भाराविसग’ (भारतीय राष्ट्रीय विकासवादी समावेशी) नामक गठबंधन तो नहीं, (क्योंकि सभी कहीं अलग-अलग हैं, तो कहीं एकजुट हैं और कार्यक्रम तो सबके भिन्न-भिन्न हैं) ‘गिरोह’ कहिए, उसे मात्र 232 सीटें प्राप्त हो सकीं, जो अकेली भाजपा को मिली सीटों से भी कम है। इस गिरोह की यह सामूहिक उपलब्धि तब है, जब उक्त समूह के सभी दलों ने साम्प्रदायिक तुष्टिकरण के आपत्तिजनक व घिनौने खेल का खुला प्रदर्शन किया एवं मतदाताओं को रिश्वत के तौर पर नकदी का प्रलोभन भी दिया और सबसे बडी बात कि उनके पक्ष में बडी-बडी कुख्यात वैश्विक शक्तियों ने भी भाजपा-मोदी विरोधी अभियान चलाया। जी हां वैश्विक रिलीजियस मजहबी शक्तियों ने धर्म (सनातन) व धर्मधारी राष्ट्र (भारत) के पुनरुत्थान से घबरा कर धर्मध्वजवाहक भाजपा-मोदी की राह रोकने के बावत उनके विरुद्ध नकारात्मक जनमत निर्मित करने एवं कृत्रिम असंतोष उत्त्पन्न करने और वृहतर धार्मिक समाज की राष्ट्रीय एकता को बनावटी जातीय वैमनस्यता से विखण्डित करने का ऐसा अभियान चलाया, जैसा आज तक अन्य किसी देश की सरकार को अपदस्थ करने के लिए नहीं चलाया गया था। तभी तो चुनाव-परिणाम के बाद भारत-सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा-सलाहकार और विभिन्न गोपणीय कार्यक्रमों के सूत्रधार अजित डोभाल को भी कहना पडा कि “इस बार भाजपा की चुनावी लडाई ‘कांग्रेस’ ‘आआपा’ ‘सपा’ व ‘ममता’ से नहीं थी, अपितु उस ‘ग्लोबल पावर’ से थी, जो भारत को कमजोर करने के बावत मोदी जी को सत्ता से बेदखल करने हेतु हिन्दुओं को विभाजित करने का अभियान चला रही थी।”

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