छात्र हित के लिए अभाविप जेएनयू अध्यक्ष का बड़ा फैसला: किया सभी प्रकार के पदवेश का त्याग

नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासन की बुद्धि को सकारात्मक दिशा में लाने के उद्देश्य से विशेष यज्ञ एवं हवन का आयोजन किया। इस यज्ञ एवं हवन का आयोजन समर-भूमि पर किया गया, जिसमें छात्रों ने पूरे श्रद्धा और निष्ठा के साथ भाग लिया। इस महत्वपूर्ण आयोजन में अभाविप के 200 से अधिक छात्रों ने भाग लिया और जेएनयू प्रशासन के सद्बुद्धि की कामना की।

प्रेस कांफ्रेंस में अभाविप के कार्यकर्ताओं ने मीडिया के समक्ष अपनी तमाम माँगें जिसमें भ्रष्टाचारी जेएनयू प्रशासन पर लगाम लगाना, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग (एसओई) की बिल्डिंग, न्यू एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) को जेएनयू में लागू करना, छात्रावास की समस्याएँ, अकादमिक समस्याएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, बुनियादी सुविधाओं की कमी जिसमें स्वच्छ पेयजल, भोजन, स्वास्थ्य सेवाएँ आदि प्रमुख विषय रखे।

अभाविप जेएनयू अध्यक्ष राजेश्वर कांत दूबे ने कहा, “जब तक छात्रों की आवाज नहीं सुनी जाएगी और उनकी माँगें पूरी नहीं की जाएंगी, तब तक मैं अपने सभी पदवेश का त्याग कर छात्रों के साथ इस संघर्ष में डटा रहूंगा। आज हमने बुद्धि शुद्धि यज्ञ में प्रशासन की बुद्धि में शुद्धता आने की प्रार्थना की और जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। यह हमारा संकल्प है कि हम छात्रों के अधिकारों के लिए अंत तक लड़ेंगे। हमारा उद्देश्य है कि छात्रों को उचित सुविधाएँ मिलें और प्रशासन उनके प्रति संवेदनशील बने। हम सभी छात्रों को एकजुट कर इस आंदोलन को सफल बनाएंगे और प्रशासन को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराएंगे।”

अभाविप जेएनयू मंत्री शिखा स्वराज ने कहा, “अभाविप का यह अनिश्चितकालीन धरना, जिसे हमने ‘छात्र समर’ का नाम दिया है, विश्वविद्यालय में पढ़ रहे छात्रों की मूलभूत सुविधाओं की माँग के लिए है। इसी प्रकरण में आज हमने बुद्धि शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया और ईश्वर से प्रार्थना की कि इस भ्रष्ट प्रशासन को सद्‌बुद्धि मिले । यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी माँगें पूरी नहीं हो जातीं और छात्रों को उनकी आवश्यक सुविधाएँ नहीं मिल जातीं। हमारा यह आंदोलन छात्रों के हित में है और हम इसे सारी मांगे पूर्ण होने तक किसी भी हालत में समाप्त नहीं करेंगे।”

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