दिल्ली में रैन बसेरे संचालन करती संस्था का तुगलकी फरमान, बिना पूर्व अनुमति से मिडियाकर्मी को नही मिलेगा प्रवेश

नई दिल्ली: चोर की दाढी में तिनका ये मुहावरा यू ही तो नही बना होगा। जरूर इसके पीछे कोई कारण होगा। यह मुहावरा तब याद आया जब दिल्ली के सराय काले खां में रैन बसेरे संचालन करती संस्था का तुगलकी फरमान पढ़ने को मिला, रैन बसेरे संचालन करती संस्था के सुपरवाइजर ने तुगलकी फरमान में सभी स्टाफ को व्हाट्सएप पर मैसेज किया की ” बिना पूर्व अनुमति से कोई भी मिडियाकर्मी को रैन बसेरे में न आने दे, किसी भी प्रकार की कोई भी फोटो न लेने दें और अपना कोई भी डॉक्यूमेंट को हाथ ना लगाने दें “

सराय काले खां में रैन बसेरे संचालन करती संस्था के सुपरवाइजर का तुगलकी फरमान के पीछे का कारण तब पता चला जब रविवार 18 अगस्त रात करीब 8:15 बजे सराय काले खां स्थित रैन बसेरों ग्राउंड जीरो रिपोर्ट के लिए पहुंचे। तभी मुख्य गेट पर एक गार्ड द्वारा अंदर जानें का अनुमति पत्र मांगा गया। हालांकि रैन बसेरों में जानें के लिए किसी की भी अनुमति की आवश्यकता नही रहती। कोई भी कभी भी आ जा सकता है। गार्ड से रोकने का कारण अपने सुपरवाइजर सोनू का आदेश बताया। जब सुपरवाइजर सोनू को मिडिया को रोकने का कारण पूछा तो ऑफिस का आर्डर का हवाला दिया गया। ऑफिस आर्डर की कॉपी मांगने पर नही दी गई। काफ़ी देर बाद सुपरवाइजर सोनू ने परिसर में जाने की अनुमति दी पर रैन बसेरे के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी।

रैन बसेरे ने जाने से रोकने का कारण तब पता चला जब कैंपस में पहुंचा। परिसर में साफ सफाई का अभाव था। दो रैन बसेरों में स्टाफ मौजुद नही थे। अनुमति के बहाने एंट्री गेट पर रोका तब तक स्टाफ आ गया। परिसर में खुल्ले आम लोग शराब का सेवन कर रहे थे। परिसर में तीन अलग अलग स्थानों पर खुल्ले आम जुआ चल रहा था जैसे संस्था की निगरानी में ही सारा कार्य चल रहा हो। यह हालात देख कर सवाल खड़ा होता है की क्या जुआ और शराब के लिए संस्था ने अनुमति पत्र दिया होगा ?

बीती 17 अगस्त को कालकाजी स्थित रैन बसेरे में जमीनी स्थिति में पाया की वहा पर दो केयरटेकर और दो गार्ड से 12–12 घंटे काम करवाया जाता है। संत नगर स्थित रैन बसेरे में एक में दो और एक रैन बसेरे में कई दिनों से एक स्टाफ से ही ड्यूटी करवाई जा रही है। और बीते कई दिनों से सीवेज भरी हुई है। जिसके चलते बेघर शौचालय के लिए समस्या का सामना कर रहे हैं। संस्था के कई केयर टेकर ने सीएम ऑफिस को ईमेल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत ने कहा गया है कि पांच महीनों के वेतन का भुगतान नही किया है। जिसके कारण कई स्टाफ मजबूरी में ड्यूटी छोड़ के जा रहें हैं। संस्था केयर टेकर की मजबूरी का फायदा उठाकर 9-10 हजार रूपए के कम वेतन पर लोगों को नियुक्त किया है, और उन को एक दिन में तीन शिफ्ट में काम कराती है और उन्हें समय पर वेतन दिया जाता है।

दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड द्वारा दिल्ली में 203 रैन बसेरे कार्यरत है, जिनमे 82 आरसीसी बिल्डिंग,103 पोर्टा केबिन, स्पेशल ड्राइव के 10 और 8 अस्थायी बिल्डिंग है, सभी रैन बसेरे की कुल क्षमता 17284 है, डूसिब के नियम मुजब सभी रैन बसेरे में 3 केयर टेकर, 1 रिलीवर और एक सफाई कर्मचारी होने चाहिए। सभी केयर टेकर को दिल्ली सरकार के न्यूनतम मजदूरी मुजब करीब 21,200 रुपए का भुगतान प्रति माह करना होता है। पर रैन बसेरे में जमीनी स्तर पर कही 2 केयर टेकर, कही 3 तो कही एक ही केयर टेकर से रैन बसेरा चलाया जा रहा है। पर डूसिब द्वारा आज तक सख्त कार्रवाई नही की गई हैं।

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