त्रिपुरा में बाढ़ से हजारों बेघर, पानी अपने देश में घुसने से बौखलाया बांग्लादेश , भारत ने दिया करारा जवाब

राष्ट्रीय जजमेंट

इन दिनों पूर्वोत्तर का राज्य त्रिपुरा भारी वर्षा के चलते पैदा हुए बाढ़ जैसे हालात से जूझ रहा है। इस मुश्किल घड़ी में केंद्र की मोदी सरकार त्रिपुरावासियों की भरपूर मदद कर रही है। हम आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से हुई लगातार भारी बारिश के कारण त्रिपुरा में दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और कई अन्य लापता हो गए हैं। त्रिपुरा सरकार के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में 65,400 लोगों ने 450 राहत शिविरों में शरण ली है, क्योंकि भारी बारिश के कारण उनके घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा कर लोगों का हाल जाना और राहत कार्यों की समीक्षा की। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने प्रत्येक मृतक के परिवार को चार लाख रुपये की वित्तीय मदद देने की घोषणा की है। हम आपको बता दें कि त्रिपुरा में बाढ़ से भौतिक बुनियादी ढांचे और कृषि फसलों के साथ-साथ घरों और पशुओं को भी भारी नुकसान हुआ है। पूर्वोत्तर के इस राज्य में करीब 17 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। राज्य सरकार के मुताबिक 2,032 स्थानों पर भूस्खलन की खबरें आईं, जिनमें से 1,789 स्थानों को साफ कर दिया गया है, जबकि अन्य स्थानों पर बहाली का काम जारी है। केंद्र सरकार ने गोमती और दक्षिण त्रिपुरा जिलों में फंसे लोगों को निकालने के लिए दो हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध कराए हैं। मौसम विभाग ने आज भी त्रिपुरा में कई स्थानों पर अत्यधिक बारिश होने का अनुमान लगाया है।अमित शाह ने किया मदद का ऐलान
उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र ने बाढ़ प्रभावित त्रिपुरा के लिए 40 करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी है। अमित शाह ने कहा कि बाढ़ राहत और बचाव कार्यों में राज्य सरकार की सहायता के लिए केंद्र ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 11 टीम, सेना की तीन टुकड़ियां और भारतीय वायुसेना के चार हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘त्रिपुरा में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि) से केंद्रीय हिस्से के रूप में 40 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से जारी करने की मंजूरी दी है।’’ गृह मंत्री ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, ‘‘त्रिपुरा में हमारे भाई-बहन इस कठिन समय में मोदी सरकार को कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा पाएंगे।’’ हम आपको बता दें कि अमित शाह ने बृहस्पतिवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा से फोन पर बात करके राज्य में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया था और उन्हें केंद्र की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया था।मुख्यमंत्री लगातार कर रहे राहत कार्यों की समीक्षाइससे पहले, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने जानकारी दी थी कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की कई टीम राहत सामग्री और आपदा प्रबंधन उपकरणों के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत-बचाव कार्यों में राज्य सरकार की सहायता करने के लिए पहुंच गयी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा राज्य प्रशासन इस ‘अभूतपूर्व’ प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए 24 घंटे काम कर रहा है। माणिक साहा ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट में कहा, “एनडीआरफ की टीम राहत-सामग्री के साथ त्रिपुरा पहुंच गई है। अगरतला के महाराजा बीर बिक्रम माणिक्य बहादुर हवाईअड्डे पर राहत सामग्री और आपदा प्रबंधन उपकरण को पहुंचा दिया गया है और अब इन्हें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत-बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए भेजा जाएगा। जरूरतमंद लोगों के लिए उम्मीद और सहायता लेकर आ रहे हैं।”
इस बीच, असम राइफल्स ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि राज्य भर से 750 से अधिक लोगों को निकाला गया है। विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘असम राइफल्स की राइफल महिलाएं त्रिपुरा में राहत और बचाव अभियान का नेतृत्व कर रही हैं। राज्य के विभिन्न भागों में चार बचाव टुकड़ियां उतारी गईं, जिनमें पूर्वी कंचनबाड़ी, कुमारघाट, उनाकोटी जिला, गोमती जिले का अमरपुर, बिशालगढ़, सिपाहीजाला और त्रिपुरा पश्चिम शामिल हैं।’’ बांग्लादेश के बयान पर भारत की प्रतिक्रिया हम आपको यह भी बता दें कि त्रिपुरा में बाढ़ जैसे हालात बांग्लादेश में भी चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल भारत ने बांग्लादेश में प्रकाशित उन खबरों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है जिसमें दावा किया गया है कि बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में मौजूदा बाढ़ की स्थिति त्रिपुरा में गुमती नदी पर बने बांध के फाटक खोलने के कारण उत्पन्न हुई है। इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देशों के बीच साझा नदियों में आने वाली बाढ़ एक ‘साझा’ समस्या है, जिससे दोनों पक्षों के लोगों को परेशानी होती है तथा इसके समाधान के लिए घनिष्ठ आपसी सहयोग की आवश्यकता है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमने बांग्लादेश में यह चिंता व्यक्त होते देखी है कि बांग्लादेश की पूर्वी सीमा पर स्थित जिलों में बाढ़ की वर्तमान स्थिति त्रिपुरा में गुमती नदी के ऊपरी हिस्से में स्थित डंबूर बांध के फाटक खोलने के कारण उत्पन्न हुई है। यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम यह बताना चाहेंगे कि भारत और बांग्लादेश से होकर बहने वाली गुमती नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में इस वर्ष की सबसे भारी बारिश हुई है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में बाढ़ मुख्य रूप से बांध के नीचे की ओर इन बड़े जलग्रहण क्षेत्रों के पानी के कारण आयी है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डंबूर बांध (बांग्लादेश की) सीमा से 120 किलोमीटर से अधिक दूर स्थित है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह कम ऊंचाई (करीब 30 मीटर) का बांध है, जो बिजली पैदा करता है और वह बिजली ग्रिड में जाती है जिससे बंग्लादेश को भी त्रिपुरा से 40 मेगावाट बिजली मिलती है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘करीब 120 किलोमीटर लंबे नदी के रास्ते में अमरपुर, सोनामुरा और सोनामुरा 2 में तीन जल-स्तर निगरानी स्थल हैं।’’विदेश मंत्रालय ने कहा कि अधिक प्रवाह होने पर पानी स्वत: तरीके से छोड़ा जाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमरपुर स्टेशन द्विपक्षीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जिसके तहत बांग्लादेश को भारत की ओर से वास्तविक समय में बाढ़ के आंकड़े भेजे जाते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश 54 आम सीमा पार नदियों को साझा करते हैं और नदी-जल सहयोग द्विपक्षीय जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम द्विपक्षीय परामर्श और तकनीकी चर्चाओं के माध्यम से जल संसाधनों और नदी जल प्रबंधन में मुद्दों और आपसी चिंताओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

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