मुझे राज्यसभा में अपना कार्यकाल पूरा करने दीजिए, फिर मैं संसद पर आधारित कहानी लिखूंगी: सुधा मूर्ति

राष्ट्रीय जजमेंट

बेंगलुरु । सांसद, लेखिका एवं समाजसेवी सुधा मूर्ति ने कहा कि उन्होंने 1980 के दशक में संसद पर आधारित श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर एक किताब पढ़ी है, लेकिन तब से भारत और संसद में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन उन्हें इस विषय पर लिखने से कोई गुरेज नहीं होगा। मूर्ति ने कहा, ‘‘ हालांकि, ऐसा करने से पहले मुझे राज्यसभा सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करना होगा।’’ मूर्ति यहां अपनी 300वीं रचना और 46वीं किताब ‘ग्रैंडपाज बैग ऑफ स्टोरीज’ के विमोचन के अवसर पर साथी लेखिका और अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना के साथ बातचीत कर रही थीं। यह कार्यक्रम बेंगलुरु के लिट स्पिरिट फाउंडेशन ने आयोजित किया था। उन्होंने बताया कि उनकी तात्कालिक इच्छाओं की सूची में श्लोकों पर आधारित एक पुस्तक लिखने की है, जिनका पाठ उनके दादाजी करते थे। मूर्ति ने कहा, ‘‘—जैसे मेरे दादाजी तब (श्लोकों का) पाठ करते थे, जब कोई यात्रा पर जाता था या घर से बाहर निकलता था।’’ मूर्ति के नाती-पोते ब्रिटेन में रहते हैं और वहां की पृष्ठभूमि पर कहानी लिखने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरी किताब में ऐसे पात्र हैं, जो बिल्कुल मेरे नाती-पोते जैसे हैं, लेकिन वे भारत में रहते हैं… ब्रिटेन में मैं किसी भी समय केवल 10 से 15 दिनों के लिए रही हूं। किसी जगह की पृष्ठभूमि कहानी लिखने के लिए आपको उस जगह को अच्छी तरह से जानना होगा, लोगों से बातचीत करनी होगी। तभी आपको उस जगह की संस्कृति की झलक मिलेगी और आप उसके बारे में सहजता से लिख पाएंगे।’’ खन्ना और मूर्ति ने लेखन के प्रति अपने-अपने दृष्टिकोण पर भी चर्चा की, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि प्रासंगिक बने रहने के लिए वे क्या करते हैं, तथा पुस्तक लेखन में कितना गहन शोध किया जाता है। कहानी या पुस्तक लिखने की प्रक्रिया के बारे में मूर्ति ने कहा कि वह अपने दिमाग में ‘पूरी कहानी’ तैयार करने के बाद ही लिखने बैठती हैं।उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लिखने में सिर्फ़ 10 से 15 दिन लगते हैं, उससे ज़्यादा नहीं। लेकिन मैं कहानी के बारे में एक साल से भी ज़्यादा समय तक सोचती रहती हूं।’’ खन्ना ने कहा कि शुरुआत में उन्हें मां होने और लेखन के बीच संतुलन बनाने में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन अंततः उन्होंने संतुलन बना लिया और सुबह का समय लेखन के लिए आरक्षित कर लिया।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More