राहुल गांधी ने डीटीसी बस में किया सफर, ड्राइवर और कंडक्टर से की बात, पूछा- नागरिक पक्के तो नौकरी कच्ची क्यों?

राष्ट्रीय जजमेंट

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कर्मचारियों के सामने आने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाया। गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि रोजाना लाखों यात्रियों की सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार लोगों को बदले में अन्याय के अलावा कुछ नहीं मिला है। राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा कि कुछ दिनों पहले दिल्ली में एक सुखद बस यात्रा के अनुभव के साथ DTC कर्मचारियों से संवाद कर उनके दिनचर्या और समस्याओं की जानकारी ली। न सामाजिक सुरक्षा, न स्थिर आय और न की स्थाई नौकरी – संविदात्मक मजदूरी ने एक बड़ी ज़िम्मेदारी के काम को मजबूरी के मुकाम पर पहुंचा दिया है।राहुल गांधी ने लिखा कि जहां ड्राइवर और कंडक्टर अनिश्चितताओं के अंधेरों में जीने पर विवश हैं, वहीं यात्रियों की सुरक्षा में निरंतर तैनात होमगार्ड्स 6 महीनों से वेतनहीन हैं। इस उपेक्षा से त्रस्त, देश भर के सरकारी कर्मचारियों की तरह DTC वर्कर्स भी लगातार निजीकरण के डर के साए में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये वो लोग हैं जो भारत को चलाते हैं, प्रतिदिन लाखों यात्रियों के सफर को सुगम बनाते हैं – मगर समर्पण के बदले उन्हें कुछ मिला है तो सिर्फ अन्याय। मांगें स्पष्ट हैं – समान काम, समान वेतन, पूरा न्याय! वो भारी मन और दुखी दिल से सरकार से पूछ रहे हैं, “हम नागरिक पक्के तो नौकरी कच्ची क्यों!”वीडियो में, गांधी एक ड्राइवर के साथ उबर की सवारी करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसके साथ उन्होंने पहले यात्रा की थी, इस दौरान उन्होंने गिग श्रमिकों के सामने आने वाले मुद्दों पर प्रकाश डाला। सवारी के कारण पिछले बुधवार को सरोजिनी नगर बस डिपो के पास डीटीसी ड्राइवरों, कंडक्टरों और मार्शलों के साथ उनकी बातचीत हुई। गांधी ने फेसबुक पर अपनी बातचीत और बस यात्रा की तस्वीरें साझा करते हुए कहा, “दिल्ली में ड्राइवर और कंडक्टर भाइयों और बस मार्शलों के साथ एक बैठक और चर्चा हुई और फिर डीटीसी बस में एक मजेदार यात्रा हुई। प्रियजनों से उनके मुद्दों पर बातचीत!” सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट इन आवश्यक श्रमिकों के संघर्षों की ओर ध्यान दिलाते रहते हैं।

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