उप्र में गोशाला की व्यवस्था पर उच्च न्यायालय ने विस्तृत जवाब मांगा

राष्ट्रीय जजमेंट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में गौशालाओं की व्यवस्था पर विस्तृत जवाब मांगा। इस संबंध में पीठ ने पशुपालन निदेशक को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहने को कहा है।

उच्च न्यायालय ने यह भी पूछा है कि गौशाला के मवेशियों को, जिनमें मुख्य रूप से गायें हैं, 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से क्या खिलाया जाता है। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय एवं न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अर्चना सिंह तोमर की जनहित याचिका पर जारी किया। पीठ ने यह भी पूछा है कि क्या हाल में कोई सर्वेक्षण आदि किया गया है, जिससे पता चल सके कि गांवों में कितने चारागाह बचे हैं, क्या वे अभी भी अपने पुराने स्वरूप में हैं या कुछ क्षेत्र कम हो गए हैं या पूरी तरह से गायब हो गए हैं।

गौशाला के सवाल पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वर्तमान में 605 गौशालाएं कार्यरत हैं, जिनमें प्रत्येक मवेशी के चारे के लिए प्रतिदिन 30 रुपये दिये जाते हैं। इस पर अदालत ने पूछा कि 30 रुपये में क्या खिलाया जाता है।

पीठ ने कहा ,‘‘ हम जानना चाहते हैं कि इन गौशालाओं को चलाने की क्या व्यवस्था है और इनमें कितने लोगों को नियुक्त किया गया है। ’’ अदालत ने लखनऊ नगर निगम से यह भी पूछा है कि कांजी हाउस और कान्हा उपवन (लखनऊ स्थित गौशाला) चलाने की क्या व्यवस्था है।

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