आवास विवाद पर Atishi ने तोड़ी चुप्पी, कहा- हम बंगलों में रहने के लिए नहीं आये, सड़क पर बैठकर भी सरकार चलाएंगे

राष्ट्रीय जजमेंट

दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को लेकर विवाद जारी है। आवास को लेकर पीडब्ल्यूडी के साथ विवाद के बीच, आप ने गुरुवार को तस्वीरें साझा कीं, जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी अपने सामान के भरे डिब्बों से घिरी हुई अपने कालकाजी आवास पर फाइलों पर हस्ताक्षर करती दिख रही हैं। यह दृश्य पार्टी द्वारा दावा किए जाने के एक दिन बाद सामने आया है कि आतिशी को राष्ट्रीय राजधानी में 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगले को जबरन खाली करने के लिए मजबूर किया गया था।इन सबके बीच आतिशी ने पूरे विवाद को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है। आतिशी ने आज मीडिया से कहा कि बीजेपी चिंतित है क्योंकि वह हमें चुनाव में नहीं हरा सकती। जब वह सरकार नहीं बना पाती तो ऑपरेशन लोटस शुरू करती है और फिर नेताओं को जेल में डाल देती है। भाजपा पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि अब वे सीएम आवास पर कब्जा करने की सोच रहे हैं। आतिशी ने साफ तौर पर कहा कि हम बड़े बंगलों में रहने के लिए राजनीति में नहीं आये हैं। जरूरत पड़ी तो हम सड़क पर बैठकर भी सरकार चलाएंगे, हम दिल्ली की जनता के दिलों में रहते हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल ने यह आवास खाली कर दिया था। केजरीवाल ने मुख्यमंत्री आवास 4 अक्टूबर को खाली किया था। आतिशी इस आवास में 7 अक्टूबर को शिफ्ट हुई थीं। लेकिन 8 अक्टूबर को दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने बड़ा आरोप लगा दिया। उन्होंने दावा किया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा 6 अक्टूबर को मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव को पत्र लिखकर चाबी सौंपने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इसका मतलब है कि केजरीवाल ने अपना आवास खाली किया ही नहीं था।इसके बाद 9 अक्टूबर का दिन आता है। आतिशी के समान को घर से बाहर निकाल कर इसे पूरी तरीके से सील कर दिया जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि क्यों मुख्यमंत्री आतिशी का सामान बाहर करके आवास को सील किया गया? दरअसल, आरोप है कि इस बंगले को विधिवत तरीके से पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट को हैंडोवर नहीं किया गया। इतना ही नहीं, उससे पहले ही मुख्यमंत्री आतिशी का सामान इस बंगले में पहुंचा दिया गया। आरोप लग रहा है कि केजरीवाल के बंगला खाली करने के बाद यह आतिशी को अभी अलॉट भी नहीं किया गया था। आवास किसको अलॉट करना है, इसका अधिकार पीडब्ल्यूडी के पास होता है।

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