शीला दीक्षित के इनकार के बाद भी बंद नहीं हुए ‘आप’ से गठबंधन के दरवाजे

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच मंगलवार को हुई बैठक में आम आदमी पार्टी (आप) से आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर सहमति नहीं बनी है। इसके बावजूद इस गठबंधन के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन का यह मुद्दा अब कोर समूह की कांग्रेस समिति के पास जाएगा, जो बीजेपी को रोकने के राष्ट्रीय लक्ष्य के परिप्रेक्ष्य में स्थिति का आकलन कर सकती है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में डर है कि वे स्थानीय कारणों को प्रमुखता देकर नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी से रोकने के उनके प्राथमिक उद्देश्य को नुकसान हो सकता है।
इस डर ने विपक्षी खेमे के दिग्गजों को दूसरे राज्यों में भी गठबंधन के बारे में दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है, जहां सपा और बसपा ने अपने गठबंधन में कांग्रेस के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं। पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि देश में बने जंग के माहौल के बीच बीजेपी अपनी जड़ें मजबूत कर सकती है।
दिल्ली में राहुल गांधी से बैठक के बाद पीसी चाको ने अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ को बताया, ‘‘व्यक्तिगत तौर पर मैं चाहता हूं कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन होना चाहिए, लेकिन हमारी पार्टी का कोई भी सदस्य इस पक्ष में नहीं है। मंगलवार को शीला दीक्षित के नई दिल्ली आवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक में राहुल गांधी ने भी कहा कि वे बहुमत के खिलाफ नहीं जाएंगे।
मीटिंग में मौजूद पार्टी के 11 वरिष्ठ नेताओं ने आप के साथ गठबंधन से इनकार किया। सिर्फ अजय माकन इस गठबंधन के पक्ष में नजर आए, जबकि शीला दीक्षित, पूर्व राज्य अध्यक्षों और वर्तमान कार्यशील अध्यक्षों ने स्पष्ट रूप से इसका विरोध किया। खास बात यह है कि कुछ महीने पहले अजय माकन जब दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब वे भी इस गठबंधन के खिलाफ थे।’’
सूत्रों के मुताबिक, शीला दीक्षित ने राहुल गांधी से कहा है कि पिछले 2-3 महीनों में कांग्रेस की स्थिति में सुधार आया है। ऐसे में अजय माकन ने विरोध जताया। मीटिंग में मौजूद एक नेता ने नाम छिपाने की शर्त पर बताया, ‘‘माकन ने कहा कि अगर शीला के बेटे संदीप दीक्षित अपनी पुरानी सीट पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ते हैं तो स्थिति में वाकई बदलाव आएगा।
शीला ने इस बात को टालने की कोशिश की और इसे गैरजरूरी सवाल करार दिया। हालांकि, राहुल गांधी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़ना चाहिए। माकन का कहना था कि गठबंधन न होने की स्थिति में वोट तीन हिस्सों में बंट जाएंगे, जिससे बीजेपी को फायदा होगा।’’
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी से गठबंधन होता है और दिल्ली में केजरीवाल की वापसी बतौर मुख्यमंत्री होती है तो कांग्रेस के पुनरुद्धार की संभावनाएं कमजोर होंगी।
ऐसे में माकन ने सवाल उठाया कि अकेले लड़ने पर अगर कांग्रेस लोकसभा में कोई सीट नहीं जीत पाती है या तीसरे नंबर पर रहती है तो क्या होगा? उन्होंने कहा कि अगर ऐसी स्थिति बनती है तो क्या इसका असर अगले विधानसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा? ऐसे में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में कुछ सीटें जीतना एक बेहतर विकल्प साबित नहीं होगा?
इस मीटिंग में राहुल गांधी ने कहा, ‘‘मैं बहुमत को नजरअंदाज नहीं करना चाहता हूं। मैंने राज्य के शीर्ष नेतृत्व के विचारों का सम्मान करने का फैसला किया है। अब देखा जाएगा कि पश्चिम बंगाल में पार्टी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ कैसे चुनाव लड़ती है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से वरिष्ठ नेताओं की राय को खारिज नहीं किया है। माना जा रहा है कि अगर परिणाम उलट रहता है तो सीधे तौर पर उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकेगा।’’

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