मैथा में एसडीएम व तहसीलदार ने किया खेल

ग्राम प्रधान के पारिवारी जनों को कर दिया भूमि बिनियमतीकरण

नियमों की उड़ाई गई जमकर धज्जियां

करोड़ों की जमीन पर पड़ गया डांका

राष्ट्रीय जजमेंट ब्यूरो कानपुर देहात मैथा तहसील क्षेत्र में तैनात रहे एसडीएम व वर्तमान तहसीलदार ने लेखपाल व कानून को के साथ मिलकर अपात्र लोगों को शिवली कल्याणपुर रोड के किनारे करोड़ों की जमीन पर नियम विरुद्ध ढंग से भूमि का विनियमती करण कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने मामले की शिकायत एसडीएम ,डीएम व तहसील समाधान दिवस में की। लेकिन तहसील के अधिकारियों समेत किसी से भी न्याय नहीं मिला तो शिकायतकर्ता आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद का दरवाजा खटखटाया । आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषदसे शिकायत के बाद डीएम ने एडीएम प्रशासन से मामले की जांच कराई। जिसमें एडीएम प्रशासन ने जांच में अपात्र लोगों को भूमि के बिनियमती करण किए जाने की पुष्टि करते हुए अपात्र लोगों को नियम विरुद्ध ढंग से लाभ पहुंचाने में क्षेत्रीय लेखपाल ,राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार एवं तत्कालीन एसडीएम को दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध कार्यवाही करने के साथ अवैध तरीके से किए गए विनियमतीकरण को निरस्त करते हुए अवैध कब्जेदारों को भूमि से बेदखल करने की संस्तुति रिपोर्ट डीएम को भेजी है। इससे ग्राम समाज की जमीन पर अवैध तरीके से अपात्रों के लाभ पहुंचाने में तहसील कर्मचारियों का भ्रष्टाचार खुलकर सामने आ गया। जिससे ग्राम समाज की संपत्ति को भारी नुकसान हो रहा था।
मैथा तहसील क्षेत्र के टोडरपुर गांव निवासी आयुष त्रिवेदी ने आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश को शिकायती पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि गांव की ग्राम प्रधान किरण देवी ने गांव सभा की चकटोडरपुर स्थित शिवली कल्याणपुर रोड किनारे की बेसकीमती जमीन को गांव में तैनात राजस्व लेखपाल से मिलकर अपने परिवरीजनों व एक साझीदार के नाम फर्जी व झूठी रिपोर्ट लगवा कर बिनियमतीकरण करा लिया है। इससे राजस्व संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है जिसमें एसडीएम समेत तहसीलदार राजस्व निरीक्षक व लेखपाल की पूर्ण संलिप्तता है। आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद से शिकायत के बाद डीएम से जांच रिपोर्ट तलब की गई थी। मामले पर डीएम आलोक सिंह ने एडीएम प्रशासन अमित कुमार को वस्तु स्थिति की जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। डीएम के आदेश पर एडीएम प्रशासन अमित कुमार ने एसडीएम सुरभि शर्मा के साथ चकटोडरपुर गांव पहुंचकर किए गए विनियमितिकरण की भूमि का स्थल निरीक्षण एवं जांच की। एडीएम के स्थलीय निरीक्षण में अवैधानिक तरीके से अपात्र लोगों को किए गए विनियंमती करण की पोल खुल गई। एडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि जिन पांच लोगों छाया देवी, सुधा देवी, अर्चना देवी,मानवी देवी व रामबाबू को न्यायालय उप जिलाधिकारी के यहां से कब्जे को लेकर बिनियमती करण किया गया उसमें व्यापक पैमाने पर अनियमितताएं हैं। एडीएम ने बताया कि भूमि विनियमितीकरण केवल आवेदकों के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय में मुकदमा स्वीकार किया गया। राजस्व लेखपाल ने धारा 67 की कार्यवाही किए बगैर सीधे अपात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए 67 क का मुकदमा न्यायालय में डाला और उसपर झूठी रिपोर्ट प्रेषित करते हुए 29 नवंबर 2012 से पूर्व का कब्जा दिखाया। साथ ही झूठी रिपोर्ट प्रेषित करते हुए गुमराह किया कि उक्त आवेदकों के पास रहने के लिए कोई दूसरा मकान नहीं है। जिस संबंध में मौके पर जाकर जांच की गई तो अवैध कब्जे के रूप में केवल टाट पट्टी, अर्ध निर्मित दुकान का स्वरूप अवैध कब्जे के रूप में मिला। वह कुछ लोगों के कब्जे झोपडी के रूप में मिले। इसके बाद उनके मूल गांव जाकर निरीक्षण किया गया आसपास के लोगों से बातचीत के दौरान उनके पूर्व से निर्मित गांव में मकान मिले जिनमें उनका रहना खाना व रात्रि विश्राम आदि होने की पुष्टि हुई। इसके अतिरिक्त मकान निर्माण के दौरान लगाए गए विद्युत संयोजन के संबंध में एसडीओ से जानकारी ली गई जिसमें 15 अक्टूबर 2018 को विद्युत संयोजन किए जाने की पुष्टि हुई। जिससे यह सिद्ध हो गया कि एक मकान में वर्ष 2018 में विद्युत संयोजन किया गया मकान निर्माण के समय विद्युत संयोजन की आवश्यकता होती है। इससे यह निर्माण 2018 के आसपास ही हुआ होगा। जिसमें लेखपाल ने 2012 से पूर्व की रिपोर्ट लगाकर न्यायालय को गुमराह किया। शेष अन्य कब्जेदारो के पास कोई विद्युत संयोजन भी नहीं है। वही तहसील प्रशासन के अन्य अधिकारी राजस्व निरीक्षक सुरेंद्र सिंह, तहसीलदार प्रिया सिंह अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से अपने दायित्व का सही ढंग से पालन न करते हुए राजस्व लेखपाल द्वारा उपलब्ध कराई गई आख्या को संस्तुति सहित एसडीएम की न्यायालय में अग्रसारित कर दिया। एसडीएम ने भी बिना ग्राम सभा के हितों को सुने और शासकीय अधिवक्ता को संज्ञान में लिए बगैर एक ही तारीख में बिना किसी सम्मन व नोटिस के तामील कराए बगैर एसडीएम जितेंद्र कटियार ने अवैध कब्जेदारों के पक्ष में भूमि का विनमती करण आदेश पारित कर दिया। इसके साथ ही बिनियंती करण के दौरान धारा 64 के उपाधारा एक ,धारा 63 के निर्दिष्ट नियमों का भी उल्लंघन किया गया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 में दिए गए प्रावधानों का नजरअंदाज करते हुए अफसरो ने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए भूमि का विनिमतीकरण कर दिया। जिसको एडीएम प्रशासन अमित कुमार ने अपनी जांच में अवैध घोषित करते हुए बिनियमतीकरण की कार्रवाई को निरस्त करते हुए अवैध कब्जे को बेदखल करने के साथ संबंधित लेखपाल सुजीत सिंह राजस्व निरीक्षक सुरेंद्र सिंह तहसीलदार प्रिया सिंह एवं तत्कालीन उप जिला मजिस्ट्रेट जितेंद्र कटियार के विरुद्ध अपने पदेन दायित्व का पालन न करने और ग्राम समाज की जमीन को अपात्र लोगों के नाम बिनियमतीकरण करने के आरोप में कार्यवाही करने की संस्तुति सहित डीएम को पत्र भेजा है। इससे ग्राम समाज की जमीन पर अपात्रों को लाभ पहुंचाने का तहसील प्रशासन के अधिकारियों का चल रहा खेल उजागर हो गया है।

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