मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस को भर-भर के मिले वोट! रोहिंग्या मुसलमानों का भी रहा अहम रोल?

राष्ट्रीय जजमेंट

कांग्रेस पार्टी की हरियाणा विधानसभा चुनावों में लगातार तीसरी हार से सत्ता में वापसी के सपने चकनाचूर हो चुके हैं। जाट बहुल कई सीटों पर भी पार्टी बुरी तरह से हारी है, जिसे वह अपना गढ़ मान कर चल रही थी। लेकिन, मुस्लिम बाहुल्य मेवात क्षेत्र में उसे जो जीत मिली है। वह पूरे हरियाणा के मतदाताओं ने जो जनादेश दिया है, उसके ठीक विपरीत है। इलाके में करीब 80 फीसदी मुस्लिम आबादी है और नूंह जिले की तीनों ही सीटों पर कांग्रेसी उम्मीदवारों की जीत का अंतर बहुत ही विशाल है।
मेवात इलाके में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। जिसमें नूंह, पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका नूंह जिले की सीटे हैं। वहीं सोहना गुरुग्राम और हथीन विधानसभा सीट पलवल जिले का हिस्सा हैं। इनमें से नूंह जिले की तीनों ही सीटें मुस्लिम बहुल हैं। बाकी दोनों में भी वही ज्यादातर बार निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं।रोहिंग्या मुसलमानों को नूंह में किसने बनाया स्थायी निवासी ?अब सवाल उठ रहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को स्थायी निवासी किसने बनाया है ? मसलन, नूंह विधानसभा में 1.5 लाख से ज्यादा वोटर हैं, जिनमें से लगभग 60 हजार वोटर ही हिंदू हैं। बाकी सारे मुसलमान हैं। लेकिन, जानकारी के मुताबिक यहां के कई गांवों में रोहिंग्या मुसलमान स्थायी तौर पर बस चुके हैं। कुछ तो 10 से 15 वर्षों से रह रहे हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों का पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका में भी बसेरा! पुन्हाना में करीब 2 लाख वोटरों में से सिर्फ 25 से 30 हजार ही हिंदू मतदाता हैं। बाकी सारे मुसलमान हैं। यहां भी रोहिंग्या मुसलमानों का बसेरा बताया जाता है। फिरोजपुर झिरका की कहानी भी अलग नहीं है। इस सीट पर 2.47 लाख मतदाताओं में से सिर्फ 25 से 30 हजार के करीब ही हिंदू हैं, बाकी मुसलमान वोटर हैं। रोहिंग्या मुसलमान की उपस्थिति यहां भी बताई जाती है।कांग्रेस को रोहिंग्या मुसलमानों की वजह से मिली बड़ी जीत? हरियाणा विधानसभा चुनाव में नूंह से कांग्रेस प्रत्याशी आफताब अहमद 46,963 वोटों से जीते हैं। वहीं फिरोजपुर झिरका में तो कांग्रेस के मामन खान को 98,441 वोटों से अप्रत्याशित जीत मिली है। इनपर नूंह में हुए दंगों के समय भीड़ को उकसाने का भी आरोप है। इसी तरह पुन्हाना में कांग्रेस के मोहम्मद इलियास 31,916 वोटों से चुनाव जीते हैं। हथीन सीट पर भी कांग्रेस के प्रत्याशी मोहम्मद इसराइल 32,396 मतों से बाजी मार चुके हैं।रोहिंग्या मुसलमानों को किसके चुनावी फायदे के लिए बनाया जा रहा वोटर? एक वायरल वीडियो में रोहिंग्या खुद बता रहे हैं कि वह किस तरह से भारत आए और यहीं के होकर रह गए। इस इलाके में कांग्रेस प्रत्याशियों को जो अप्रत्याशित बढ़त मिली है, उससे आशंका पैदा होती है कि इसमें दूसरे मुल्क से आए अवैध घुसपैठियों की कितनी बड़ी भूमिका है। सवाल यह भी है कि इनके मतदाता बनने के पीछे किसकी साजिश है। क्या यह सब किसी पार्टी को चुनावी फायदा दिलवाने के लिए किया जा रहा है?

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