विवादों के बाद भी महाराष्ट्र की राजनीति में चमके हैं छगन भुजबल , सब्जी बेचने से सियासत तक का दिलचस्प रहा है सफर

राष्ट्रीय जजमेंट

छगन भुजबल का महाराष्ट्र की राजनीति में काफी बड़ा नाम है। राज्य में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसने कभी छगन भुजबल का नाम नहीं सुना होगा। सामाजिक मुद्दे हों, किसानों के हक की बात हो या फिर आरक्षण का मुद्दा हो भुजबल अपने बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। छगन भुजबल जिस प्रकार तेज तर्रार और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले को आप मंचों पर जबरदस्त भाषण देते हुए देखते हैं वो शुरू से ऐसे नहीं थे। उनकी इस सफलता के पीछे कड़ी मेहनत को बहुत कम लोग ही जानते हैं। वर्तमान में वे येओला विधानसभा से महाराष्ट्र की 14वीं विधान सभा के सदस्य हैं।छगन भुजबल का जन्म 15 अक्टूबर 1947 को महाराष्ट्र के दिंडोरी जिले में हुआ था। फिलहाल भुजबल, एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता वाली वर्तमान महाराष्ट्र सरकार के सदस्य हैं। वर्तमान में वे येओला विधानसभा से महाराष्ट्र की 14वीं विधान सभा के सदस्य हैं। उन्होंने 1999 – दिसंबर 2003 और 2009 – 2010 तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया है। भुजबल ने पहले महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री और गृह मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने मुंबई के एक इंजीनियरिंग स्कूल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है। आरंभिक दिनों में वह कृषि एवं उससे संबंधित व्यवसाय करते थे। उन्होंने शिव सेना में शामिल होकर राजनीति में एंट्री ली।छगन भुजबल की पढाई-लिखाईछगन भुजबल का जन्म महाराष्ट्र के नासिक में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। वित्तीय बाधाओं के बावजूद भुजबल ने अपनी शिक्षा जारी रखी और अपनी स्नातक की डिग्री पूरी की।कभी बेची थी सब्जीराजनीति में आने से पहले छगन भुजबल अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए बायकुला मार्केट में सब्जियां बेचा करते थे। कई चुनौतियों के बावजूद, भुजबल ने कड़ी मेहनत की और राजनीति के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया।विवादों से रहा गहरा नातामंत्री छगन भुजबल अपने पूरे करियर में कई विवादों में रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोप, मनी लॉन्ड्रिंग केस या महाराष्ट्र सदन घोटाला ऐसे कई मामले हैं जिसमें छगन भुजबल का नाम आया, लेकिन छगन भुजबल की राजनीति कभी भी डगमगाई नहीं। उनका विवादों ने कभी उनका पीछा नहीं छोड़ा। भुजबल का राजनीतिक करियर विवादों से घिरा रहा है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप, मनी लॉन्ड्रिंग केस, महाराष्ट्र सदन घोटाले में उनका नाम आया। छगन भुजबल मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल भी जा चुके हैं। भुजबल ने इन मामलों की जांच और सुनवाई के दौरान दो साल से अधिक समय न्यायिक हिरासत में बिताया। हालांकि, स्वास्थ्य कारणों से उन्हें 2018 में जमानत दे दी गई थी।भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने भुजबल और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 2017 में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया। इस मामले में आरोप लगाया गया कि भुजबल और उनके परिवार ने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से परे संपत्ति अर्जित की है।राजनीति में प्रवेशउन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत 1960 के दशक में की थी। इसके बाद भुजबल ने 1960 में मध्य मुंबई के मझगांव क्षेत्र में शाखा प्रमुख के रूप में शिवसेना में काम किया था। इस दौरान वे 1973 में पार्षद चुने गए और एक तेजतर्रार शिवसेना नेता के रूप में उभरे। भुजबल शुरू से मेहनती थे। कड़ी मेहनत, लगन और लोगों के समर्थन ने भुजबल को जल्द ही उंचाई तक पहुंचा दिया। साल 1990 में शिवसेना और बीजेपी ने एकसाथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसके बाद सीटों के लिहाज से शिवसेना के ग्राफ में जबरदस्त इजाफा हुआ। इसी दौरान भुजबल ने महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सरकार में विभिन्न मंत्री पदों पर संभाला। उन्होंने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), गृह मामलों के मंत्री और पर्यटन मंत्रालय जैसे विभागों को भी संभाला। पहली बार 1985 में और फिर 1991 में भुजबल 18 अक्टूबर 1999 से 23 दिसंबर 2003 तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रहे।छगन भुजबल की गिरफ्तारीभुजबल पर महाराष्ट्र में लोक निर्माण विभाग के मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे। इसके बाद उनपर महाराष्ट्र सदन घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा। उन्हें 2016 में प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई में महाराष्ट्र सदन और कालीना लाइब्रेरी के निर्माण से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया। भुजबल पर महाराष्ट्र में भूमि हड़पने और अवैध निर्माण गतिविधियों के आरोप भी लगे हैं। इन विवादों ने भुजबल के राजनीतिक करियर को काफी प्रभावित किया। वर्तमान में छगन भुजबल महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। उनके पास खाद्य और नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले विभाग हैं। एनसीपी में दो फाड़ होने के बाद छगन भुजबल ने अजित पवार गुट के साथ जाने का फैसला किया और वो अभी उन्हीं के साथ महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रीय हैं।

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