झारखंड एकेडमिक फोरम द्वारा “क्यों गरीब है झारखंड और कैसे बढ़े रोज़गार” विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन

नई दिल्ली: झारखंड एकेडमिक फोरम द्वारा आयोजित मतदाता-जागरुकता अभियान “हमार झारखंड, जोहार झारखंड” के तहत आज “क्यों गरीब है झारखंड और कैसे बढ़े रोज़गार” विषय पर एक महत्त्वपूर्ण ऑनलाइन चर्चा सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस कार्यक्रम के संयोजक में रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर व झारखंड एकेडमिक फोरम के संस्थापक प्रो. निरंजन कुमार,मुख्य वक्ता के रूप में एस अटेंसी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर संजीव निश्ट्टल व विशिष्ट वक्ता के रूप में पूर्व बैंक कर्मचारी व छोटानागपुर प्रमंडल के जिला समन्वयक अशोक पाठक की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने झारखंड में गरीबी और बेरोज़गारी से संबंधित समस्याओं के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए और प्रदेश के समग्र विकास के लिए सभी नागरिकों की भूमिका पर जोर दिया। चर्चा में विशेषज्ञों ने झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों, औद्योगिक विकास, कृषि और युवाओं के रोजगार के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य में रोजगार बढ़ाने और गरीबी घटाने के लिए स्थायी उपायों की आवश्यकता है, साथ ही सरकार, निजी क्षेत्र, और नागरिक समाज के बीच समन्वय को मजबूत करने की जरूरत है।

कार्यक्रम के संयोजक प्रो.निरंजन कुमार ने कहा कि “झारखंड में वर्तमान सरकार की नाकामी, जिसमें मुख्य रूप से नीति निर्माताओं द्वारा असफल नीतियों का निर्माण और शासन में व्याप्त भ्रष्टाचार शामिल है, झारखंड में जनता की गरीबी, युवाओं में बेरोज़गारी और झारखंड के लोगों के पलायन का प्रमुख कारण है। इसलिए, आगामी विधानसभा चुनाव में सुशासन की सरकार चुनने के लिए जनता इन बातों को ध्यान में रखकर ही मतदान करे।”

मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित संजीव निश्ट्टल ने कहा कि”झारखंड, प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक दृष्टि से बाकी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक समृद्ध होते हुए भी, आज जी.डी.पी., स्वास्थ्य, शिक्षा व्यवस्था, रोजगार और विकास जैसे पैमानों पर भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले अंतिम पायदान पर खड़ा है, और इसकी सबसे बड़ी वजह राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।”

विशिष्ट वक्ता अशोक पाठक ने कहा कि”झारखंड की उन्नति मेरी व्यक्तिगत उन्नति है और राज्य के विकास के लिए उद्यमिता का होना अत्यंत आवश्यक है। झारखंड में दूरदर्शिता और मजबूत नेतृत्व की कमी है। हमें पर्चेजिंग पावर को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। यदि हम कृषि सामग्री का बेहतर उपयोग करें, तो झारखंड विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ सकता है।”

कार्यक्रम में झारखंड से जुड़े प्रॉफेसर्स,पत्रकारों,शिक्षकों, शोधार्थियों,विद्यार्थियों व विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों की सहभागिता रही। कार्यक्रम की सफलता ने इस बात का संकेत दिया कि झारखंड के नागरिकों में अपने राज्य व जनजातियों के विकास को लेकर जागरूकता और उत्साह है।

झारखंड एकेडमिक फोरम का उद्देश्य झारखंड के विकास और प्रगति के लिए जागरूकता अभियान चलाना है।यह फोरम झारखंड राज्य के चौमुखी हेतु दृढ़ संकल्पित संस्था है।राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध प्रोफेसर्स, विचारक व विषय-विशेषज्ञों का यह समूह आगामी विधानसभा चुनाव में आम जनता के साथ संवाद स्थापित करते हुए उन्हें जागरूक करने का कार्य करेगा।

अंत में धन्यवाद ज्ञापन जे.एम.सी महाविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ शिवानी सक्सेना ने व कार्यक्रम का कुशल संचालन वेंकटेश्वर महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. ध्रुव कुमार ने किया ।

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