नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिद्ध के सहयोग से दिल्ली नगर निगम द्वारा सिद्ध एक्सपो और मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम द्वारा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सिद्ध के सहयोग से सिविक सेंटर में सिद्ध एक्सपो और मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली की मेयर, डॉ शैली ओबेरॉय मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थीं। उनके अतिरिक्त निदेशक आयुष बी पी भारद्वाज; निगम सचिव शिवा प्रसाद; एन आई एस की निदेशक, डॉ आर मीना कुमारी सहित आई एन एस और दिल्ली नगर निगम के आयुष विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर्स उपस्थित थे।

इस मौके पर मेयर, डॉ शैली ओबेरॉय ने कहा कि सिद्ध प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जिसका ना केवल शारीरिक बल्कि मानसिक बीमारियों के निदान के लिए एक खास दृष्टिकोण है। यह विधा इलाज के साथ-साथ अच्छी जीवनशैली के महत्व पर भी जोर देती है यानी इलाज के साथ ही यदि जीवनशैली में अपेक्षित सुधार किया जाए, तो इसके सकारात्मक और अपेक्षित परिणाम मिलते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली दक्षिणी भारत में प्रचलित है पर उत्तर भारत में इसके बारे में लोग ज़्यादा नहीं जानते है इसलिए आवश्यकता है कि सिद्ध चिकित्सीय पद्धति के बारे लोगों को बताया जाये। मेयर ने कहा कि आने वाले समय में जल्दी ही पूरी दिल्ली में सिद्ध के बारे मे लोगों को जागरूक करने के लिए स्थानीय पार्षदों के नेतृत्व में कैंप आयोजित किये जायेंगे ताकि दिल्ली के लोग इस प्रणाली से लाभान्वित हो।

एन आई एस की निदेशक, डॉ आर मीना कुमारी ने सिद्ध चिकित्सीय प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने सिद्ध मेडिसिन, उसके विकास और दृष्टिकोण के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत कि इस पद्धति से दिल्ली वासियों को लाभान्वित करने के लिए हम दिल्ली नगर निगम के साथ मिलकर कार्य करेंगे। आई एन एस से आये अन्य वरिष्ठ डॉक्टर्स ने भी वर्मम थेरेपी, आयुर्वेद और सिद्ध/ सिद्ध और होमयोपैथी में अनुकूलता और प्रतिकूलता का बारे में बताया। इसके अलावा सभागार के बाहर नक्षत्र वाटिका प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी जिसमें नक्षत्र के हिसाब से पौधे का चयन बताया गया था।

गौरतलब है कि मंगलवार, 12 नवम्बर को दिलशाद गार्डन स्थित स्वामी विवेकानंद आयुर्वेदिक पंचकर्मा अस्पताल में नि:शुल्क सिद्ध मेडिकल कैंप भी लगाया जायेगा।

बता दें कि सिद्ध चिकित्सा दक्षिण भारत की एक प्रचलित प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। प्रभावी और सहज विधा होने के चलते अब इसकी उपयोगिता बढ़ रही है। सिद्ध चिकित्सा विधा से हर्बल और हर्बल खनिज आदि के जरिए कई अन्य दुर्लभ बीमारियों का सुरक्षित व कारगर उपचार होता है। खास बात है कि सिद्ध चिकित्सा विधा से आज के समय की कई गंभीर बीमारियों का भी इलाज संभव है। उल्लेखनीय है कि सिद्ध चिकित्सा में अठारह सिद्धों को महत्वपूर्ण माना जाता है। अगस्त्य को सिद्ध चिकित्सा का संस्थापक माना जाता है।

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