Akot विधानसभा सीट पर लोगों की नजर दलित-मुस्लिम वोट पर, वोट बंटने पर बीजेपी के लिए होगी राह आसान

राष्ट्रीय जजमेंट

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में अकोट विधानसभा सीट पर 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। इस विधानसभा सीट पर पूरे राज्य के साथ ही 20 नवंबर को मतदान होगा जबकि नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। ये सीट अकोला जिला और लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 2019 में बीजेपी के प्रकाश गुणवंतराव भारसाकले ने अकोट सीट से चुनाव जीता था। यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच देखने को मिलता है। प्रकाश भारसाकले ने शिवसेना कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की,1990 में प्रकाश ने दरियापुर क्षेत्र से शिवसेना प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता। भारसाकले ने साल 2005 में शिवसेना को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए ।और जानेंसाल 2005 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर दरियापुर सीट से उपचुनाव जीता था। 2009 में प्रकाश ने कांग्रेस छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा ,लेकिन चुनाव हार गए थे। साल 2012 में प्रकाश भारसाकले ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। प्रकाश 2014 और 2019 विधानसभा चुनाव में अकोट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए। यानि 1990 से 2009 तक दरियापुर और 2014 से अब तक अकोट विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व किया है। 72 वर्षीय प्रकाश भारसाकले का जन्म 20 जनवरी 1964 को कल्याण महाराष्ट्र में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम नालिनी भारसाकले और बच्चों के नाम रूपाली और विजय है। उनका निवास स्थल कलश अपार्टमेंट अकोट है।अकोट विधानसभा क्षेत्र अकोला जिले में स्थित पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। यह अकोला संसदीय क्षेत्र का एक हिस्सा है। यह सीट 1962 से अस्तित्व में है। इस दलित-मुस्लिम मतदाता बहुल सीट पर शुरूआत में कांग्रेस का दबदबा रहा लेकिन 1990 से यहां कांग्रेस वापसी नहीं कर पाई है। 1990 में शिवसेना पहली बार यह सीट कांग्रेस से छीनी थी। इसके बाद यहां शिवसेना और बीजेपी का दबदबा रहा। यहां जीत और हार में प्रकाश आंबडेकर की वंचित बहुजन आघाड़ी भी अहम रोल निभाती है।अकोल विधानसभा पर 2019 के आंकड़ों के मुताबिक कुल 2 लाख 85 हजार 150 वोटर्स है। इस सीट पर जीत और हार के लिए दलित व मुस्लिम मतदाता अहम साबित होते हैं। इस सीट पर दलित, मुस्लिम व आदिवासी मतादाताओं को मिला दिया जाए तो इनकी संख्या तकरीबन 50 फीसदी हो जाती हैं। यहां 16 फीसदी दलित तो 26 फीसदी मुस्लिम मतदाता है। वहीं आदिवासी मतदाताओं की संख्या 7 प्रतिशत के करीब है।इस सीट पर पिछले कुछ सालों से त्रिकोणीय मुकाबला होता रहा है। ऐसे में बार भी त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद की जा रही हैं। महायुति से यह सीट बीजेपी लड़ सकती है क्योंकि यहां से मौजूदा विधायक बीजेपी के प्रकाश भारसाकले है। वहीं महाविकास आघाड़ी में यह सीट किसके खाते में जाती है यह देखना होगा। यदि यहां से कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी तो उसे जीत के लिए वंचित बहुजन आघाडी को दलित और मुस्लिम वोट ट्रांसफर होने से रोकना होगा। विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी यदि मुस्लिम और दलित वोट को बंटने से रोकती है तो एमवीए यहां से जीत की पटरी पर वापस आ सकती है। वहीं बीजेपी चाहेगी कि एमवीए और प्रकाश आंबेडकर की पार्टी का विभाजन हो और बाजी भाजपा के हाथ लग जाए।

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