दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने राजधानी में अवैध प्रवासियों की संख्या में वृद्धि का दावा करने वाली रिपोर्टों का संज्ञान लिया है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने तत्का ही इसके उपाय सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। उपराज्यपाल के प्रधान सचिव ने मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आयुक्त और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
पत्र में विशिष्ट निर्देशों का उल्लेख किया गया है: “मुख्य सचिव संभागीय आयुक्त के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश जारी कर सकते हैं कि वे पहचान दस्तावेजों के लिए आवेदन करने वाले लोगों के सत्यापन में अतिरिक्त सतर्कता बरतें। इसके अलावा, पुलिस आयुक्त क्षेत्र स्तर के अधिकारियों को विशेष रूप से सड़क के किनारे और खाली सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के निरीक्षण के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश भी जारी कर सकते हैं। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एक महीने तक विशेष अभियान चलाएगी और केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय करके आगे की कार्रवाई करेगी।
दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली में अवैध प्रवासियों की संख्या में अचानक वृद्धि के बारे में रिपोर्टों का संज्ञान लिया और तुरंत उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने के आदेश दिए। पत्र के अनुसार, एलजी सक्सेना का ध्यान सोशल मीडिया और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से मिली रिपोर्टों की ओर आकर्षित हुआ, जिसमें बताया गया कि “दिल्ली में अवैध अप्रवासियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है।” इसके अतिरिक्त, इन व्यक्तियों द्वारा सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों और पार्कों पर अतिक्रमण में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आधार और चुनाव पहचान पत्र जैसे पहचान दस्तावेज धोखाधड़ी के माध्यम से प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पत्र में उल्लेख किया गया है कि एक बार प्राप्त होने के बाद इन दस्तावेजों का उपयोग नागरिकता का दावा करने के लिए किया जा रहा है।
निहितार्थों पर प्रकाश डालते हुए, एलजी कार्यालय ने कहा: “यदि अवैध अप्रवासियों को चुनाव पहचान पत्र जारी किया जाता है, तो यह उन्हें लोकतंत्र का सबसे शक्तिशाली अधिकार प्रदान करता है, अर्थात हमारे देश में वोट देने का अधिकार। अवैध अप्रवासियों को ऐसे अधिकार देना किसी भी भारतीय नागरिक द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है और इस तरह के कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं।” निर्देश में सभी सरकारी एजेंसियों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अनधिकृत कब्जे की रोकथाम के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
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