DUSIB का विंटर एक्शन प्लान, वायु गुणवत्ता सूचकांक 500, तापमान 13°C और खुले में सोने को मजबूर लोग

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में यदि एक घंटे के लिए घर से बाहर निकालना हो तो कई बार सोचना पड़ता हैं। बाहर निकलते ही आंखों ने जलन और सांस लेने में भी समस्या होती है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 के आस पास है। साथ ही ठंड ने दस्तक देनी शुरू कर दी हैं। दिल्ली की सर्दी और अभी का प्रदूषण हजारों ऐसे लोगों के लिए मुसीबत बनकर आया है जिनके सिर पर छत नहीं हैं। बेघर लोगों को अपने आपको गर्म एवं स्वस्थ रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है।

बेघर लोगों को ठंड से बचाव के लिए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड 15 नवंबर से 15 मार्च तक हर साल विंटर एक्शन प्लान की घोषणा करती हैं। विंटर एक्शन प्लान के तहत दिल्ली में अस्थाई रैन बसेरे स्थापित किए जाते हैं। साथ थी रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक दिल्ली में 16 रेस्क्यू टीमें रहती है। इस वर्ष विंटर एक्शन प्लान को चार दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक दिल्ली में एक भी जगह पर अस्थाई रैन बसेरे स्थापित नहीं हो पाए हैं जिसके कारण लोग इतने खतरनाक प्रदूषण बीच ठंड में खुले में सोने को मजबूर हैं।

सोमवर रात जमीनी स्तर पर डूसिब द्वारा विंटर एक्शन प्लान के तहत शुरू हुए रेस्क्यू की स्थिति लापरवाह देखने को मिली। रैन बसेरा ऐप से सोमवर रात भेजी गई रेस्क्यू की पांच रिक्वेस्ट मंगलवार सुबह 7 बजे तक भी ओपन थी। सोमवार रात 10 बजे नेहरू प्लेस से भेजी गई रेस्क्यू रिक्वेस्ट में रेस्क्यू टीम द्वारा सुबह 7 बजकर 25 मिनिट को अपडेट किया गया की वहां कोई बेघर खुले में सोया हुआ नहीं पाया गया। हालांकि वहां पर कई परिवार खुले में सो रहे थे। कश्मीरी गेट स्थित हनुमान मंदिर के पास से की गई रेस्क्यू रिक्वेस्ट में भी रेस्क्यु टीम ने अपडेट किया गया की वहां कोई बेघर खुले में सोया हुआ नहीं था। यहां से चंद कदम की दूरी पर रैन बसेरा है, वहां पर एक रेस्क्यू वेन भी थी पर उसमें ड्राइवर और हेल्पर मौजुद नही थे। खबर लिखे जाने तक डूसिब के रैन बसेरे संबधित अधिकारियों को संपर्क किया गया था लेकिन किसी अधिकारी से प्रतिक्रिया नही दी। रेस्क्यू में बरती जा रही लापरवाही से डूसिब अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है।

सुप्रीम कोर्ट की राज्य स्तरीय निगरानी समिति के सदस्य इंदु प्रकाश सिंह ने बताया कि 15 नवंबर को विंटर एक्शन प्लान शुरू हो चुका हैं। 15 को अस्थाई रैन बसेरे स्थापित होने शुरू हो जाने चहिए पर यह डूसिब अधिकारियों की मनमानी हैं। यदि ठंड के कारण या अन्य कारण से कोई बेघर की मृत्यु होती है तो सीधे तौर पर डूसिब अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराना चहिए। ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। बीती निगरानी समिति की मीटिंग में डूसिब ने 15 तक अस्थाई रैन बसेरे स्थापित हो जाने का आश्वासन भी दिया था। लेखों अभी तक स्थापित नही हुए है। रेस्क्यू टीम की निगरानी के लिए डूसिब का एक अधिकारी भी होना चाहिए ताकि रेस्क्यू में लापरवाही ना बरती जाएं।

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