केंद्र सरकार से नहीं संभल रही दिल्ली की कानून व्यवस्था, केजरीवाल बोले- आज हर कोई डरा हुआ है

राष्ट्रीय जजमेंट

आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ कड़ी आलोचना की और उस पर दिल्ली को ‘गैंगस्टरों’ द्वारा शासन करने की अनुमति देने का आरोप लगाया। दिल्ली विधानसभा में आप विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, दिल्ली की कानून व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है, खासकर 2019 के बाद से जब अमित शाह गृह मंत्री बने। वह दिल्ली को संभाल नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हत्या की घटनाएं अक्सर हो रही हैं।

केजरीवाल ने कहा कि लोगों को रंगदारी के लिए फोन आ रहे हैं। खुलेआम गैंगवार और गोलीबारी हो रही है। जो हमने फिल्मों में देखा वो आज दिल्ली में हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली में अपहरण हो रहे हैं। महिलाओं का अपहरण, बलात्कार और हत्या कर दी जाती है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने कहर बरपाया है। लॉरेंस बिश्नोई खुद साबरमती जेल में बंद हैं जो बीजेपी शासित राज्य गुजरात में स्थित है। उन्होंने सवाल किया कि वहां की जेल से वह दिल्ली में रंगदारी का रैकेट कैसे चला रहा है?

इससे पहले दिल्ली विधानसभा के पांच साल के कार्यकाल के अंतिम सत्र के पहले दिन शुक्रवार को बस मार्शलों को हटाने के मुद्दे पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि मार्शलों को बहाल करने का प्रस्ताव उपराज्यपाल के पास लंबित है। इस मुद्दे पर चर्चा में भाग लेते हुए आतिशी ने कहा कि अगर उपराज्यपाल वी के सक्सेना 10,000 बस मार्शलों की बहाली के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए राजी हो जाएं तो आम आदमी पार्टी (आप) रोहिणी विधानसभा सीट से विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। हल्के-फुल्के अंदाज में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि गुप्ता प्रस्ताव उपराज्यपाल से स्वीकृत करा देते हैं तो वह चुनाव में उनके लिए प्रचार करेंगी। उन्होंने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का बचाव किया, जिन पर भाजपा ने नवंबर 2023 से बस मार्शलों को हटाने का निर्देश देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर 2023 को लिखे अपने पत्र में केजरीवाल ने कहा था कि बस मार्शलों को नहीं हटाया जाना चाहिए और उनके वेतन का भुगतान रोकने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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