मिजोरम में वीके सिंह और मणिपुर में अजय कुमार भल्ला को क्यों भेजा गया है? क्या है केंद्र का प्लान?

राष्ट्रीय जजमेंट

पूर्वोत्तर राज्यों में विकास की धारा बहा रही मोदी सरकार इस क्षेत्र के हालात को लेकर बेहद संवेदनशील रहती है। मणिपुर और मिजोरम के राज्यपाल पद पर हाल ही में की गयी नियुक्तियां दर्शा रही हैं कि केंद्र सरकार बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से लगने वाले इन दोनों राज्यों की सुरक्षा और वहां के हालात को लेकर कितनी सतर्क है। हम आपको बता दें कि हाल ही में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया था और आज पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा थल सेनाध्यक्ष रह चुके जनरल वीके सिंह ने मिजोरम के राज्यपाल पद की शपथ ली।मणिपुर में शांति व्यवस्था कायम करने में केंद्रीय गृह सचिव के नाते राज्य सरकार का सहयोग करते रहे अजय कुमार भल्ला ने पद संभालते ही हालात में बदलाव लाने की दिशा में तेजी से कदम उठाना शुरू कर दिया है। इसी सप्ताह सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर उन्हें मणिपुर में मौजूदा सुरक्षा स्थिति और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी थी। इस बैठक में स्पीयर कोर के जीओसी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग) लेफ्टिनेंट जनरल अभिजीत एस पेंढारकर, 57वीं माउंटेन डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल एसएस कार्तिकेय और असम राइफल्स (दक्षिण) के महानिरीक्षक मेजर जनरल रावरूप सिंह भी उपस्थित थे। हम आपको यह भी बता दें कि अजय कुमार भल्ला मणिपुर के राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद से विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं तथा कुकी एवं मेइती के बीच तनाव को कम करने के प्रयास में शीर्ष अधिकारियों और सामुदायिक नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।वहीं मिजोरम की बात करें तो आपको बता दें कि पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह मिजोरम को 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद से 25वें राज्यपाल बने हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने हरि बाबू कंभमपति की जगह ली, जिन्हें ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई ने आइजोल के राजभवन में आयोजित एक समारोह में वीके सिंह को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह में मुख्यमंत्री लालदुहोमा और उनके कैबिनेट सहयोगी, विधानसभा अध्यक्ष लालबियाकजमा, उपाध्यक्ष लालफामकिमा, सांसद, विधायक, वरिष्ठ नौकरशाह और शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री लाल थनहवला और जोरमथांगा के अलावा चर्च के नेता और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।वर्ष 1951 में जन्मे वीके सिंह ने 2010 से 2012 तक 24वें सेनाध्यक्ष के रूप में सेवाएं दीं। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद, वह 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए और उस वर्ष के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। 2019 में वह उसी सीट से फिर से चुने गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विदेश राज्य मंत्री, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और सांख्यिकी तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वह सड़क परिवहन और राजमार्ग तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालयों में राज्य मंत्री थे।वीके सिंह को मिजोरम भेजा जाना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता को देखते हुए भारत ने पड़ोसी देश से लगती अपनी सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है। हम आपको बता दें कि भारत-बांग्लादेश 4096 किलोमीटर सीमा साझा करते हैं। इनमें पश्चिम बंगाल में 2,217 किलोमीटर, त्रिपुरा में 856 किलोमीटर, मेघालय में 443 किलोमीटर, असम में 262 किलोमीटर और मिजोरम में 318 किलोमीटर का सीमाई इलाका पड़ता है। वीके सिंह चूंकि सेनाध्यक्ष रहे हैं इसलिए वह सीमाई मुद्दों से भलीभांति परिचित भी हैं। साथ ही वह पूर्वोत्तर मामलों के केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान इस क्षेत्र में काफी सक्रिय रहे थे और विभिन्न परियोजनाओं से जुड़े रहे थे। इसके अलावा मिजोरम की एक अन्य समस्या यह है कि वहां अक्सर पड़ोसी देश म्यांमा से शरणार्थी आ जाते हैं। हाल ही में मिजोरम के गृह विभाग ने बताया था कि मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में 12,901 बच्चों सहित कुल 33,835 म्यांमाई नागरिकों ने शरण ले रखी है।

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