अजीत डोभाल को कहा जाता है भारत का ‘जेम्स बॉन्ड’, आज मना रहे 80वां जन्मदिन

राष्ट्रीय जजमेंट

आज यानी की 20 जनवरी को भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 80वां जन्मदिन मना रही हैं। उनको भारत का ‘जेम्स बॉन्ड’ भी कहा जाता है। अजीत डोभाल के नाम से पाकिस्तान के हुक्मरान कांप उठते हैं। वह करीब 7 साल तक पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट बनकर रहे थे। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ पाकिस्तान की भाषा सीखी, बल्कि उनकी संस्कृति और राजनीतिक गहराइयों को भी समझा। तो आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

जन्म और परिवार

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक गढ़वाली परिवार में 20 जनवरी 1945 को अजीत डोभाल का जन्म हुआ था। इन्होंने शुरूआती शिक्षा अजमेर मिलिट्री स्कूल से पूरी की और फिर आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में मास्टर्स डिग्री हासिल की। वह साल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्होंने केरल कैडर में सेवा की थी। लेकिन अजीत डोभाल की पहचान भारत के सबसे कुशल खुफिया अधिकारी के रूप में होती है।

पाकिस्तान में अंडरकवर एजेंट बन बिताए 7 साल

बता दें कि अजीत डोभाल ने अपने करियर में कई जोखिम भरे मिशन को अंजाम दिया है। इसी में से एक यह है कि वह पाकिस्तान में 7 साल तक बतौर अंडरकवर एंजेंट के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने वहां पर पाकिस्तानी इतिहास और संस्कृति में महारत हासिल की। इस तरीके से उन्होंने खुद को पाकिस्तान में बतौर मुस्लिम पेश किया और पाकिस्तानी खुफिया तंत्र को चमका देकर भारत के लिए अहम जानकारियां जुटाई।

ऑपरेशन ब्लैक थंडर और खालिस्तान आतंकवाद

जब साल 1980 के दशक में पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद अपने चरम पर था, तो ऑपरेशन ब्लैक थंडर में डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने अमृतसर के गोल्डन टेंपल में रिक्शा चालक बनकर आतंकवादियों से संपर्क बनाया और अपने आप को ISIS का एजेंट बताया। डोभाल के द्वारा दी गईं खुफिया जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने अमृतसर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस कार्य के लिए अजीत डोभाल को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। यह किसी पुलिस अधिकारी को दिया जाने वाला पहला सम्मान था।

कंधार विमान अपहरण में डोभाल की रणनीति

वहीं साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को कंधार में हाइजैक कर लिया गया। तब इस संकटपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए डोभाल ने आतंकवादियों से बातचीत की। यह अजीत डोभाल की रणनीति थी कि यात्रियों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित हो सकी। हालांकि यह मामला राजनीतिक निर्णयों की वजह से विवादित रहा, लेकिन डोभाल की सूझबूझ के चलते स्थिति अधिक नहीं बिगड़ी।

डोभाल ने कराई इराक में फंसी भारतीय नर्सों की रिहाई

बता दें कि साल 2014 में इराक के तिकरित में 46 भारतीय नर्स फंस गई थीं। ऐसे में इन नर्सों को सुरक्षित वापस लाने में अजीत डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी। डोभाल ने इस गुप्त मिशन के तहत इराक सरकार और ISIS के बीच संपर्क स्थापित किया और सभी नर्सों की सुरक्षित भारत वापसी कराई।

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