उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग पर मुकेश श्रीवास्तव का शिकंजा: आय से अधिक संपत्ति और तबादलों का खेल

राष्ट्रीय जजमेंट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और विजिलेंस की जांच के घेरे में है। इस जांच का केंद्र बना है मुकेश श्रीवास्तव, जो आय से अधिक संपत्ति और स्वास्थ्य विभाग में अपनी गहरी पैठ के लिए चर्चा में हैं। समाजवादी पार्टी और भाजपा नेताओं ने मुकेश पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनकी जांच जारी है।

स्वास्थ्य विभाग में तबादलों का खेल
सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में आधा दर्जन से अधिक सीएमओ के तबादले होने वाले हैं। बस्ती, अयोध्या, सीतापुर, शाहजहांपुर, इटावा, नोएडा, बुलंदशहर, और बांदा जैसे जिलों में सीएमओ की तैनाती में मुकेश की भूमिका सामने आई है। आरोप है कि मुकेश ने मंत्रियों और विधायकों के लेटरहेड का इस्तेमाल करते हुए तबादले के लिए सिफारिशी पत्र भेजे।

कंपनियों के माध्यम से अनियमितता
मुकेश श्रीवास्तव की कई कंपनियां भी जांच के दायरे में हैं। सूत्र बताते हैं कि जिन जिलों में उनके करीबी सीएमओ का ट्रांसफर होता है, वहां वह अपनी कंपनियों के लिए काम सुनिश्चित कराते हैं। इन कंपनियों को मानकों के विपरीत काम मिल रहा है, और इन पर पहले से ही जांच चल रही है।

आय से अधिक संपत्ति और घोटालों के आरोप
मुकेश श्रीवास्तव आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी फंसे हुए हैं। लखनऊ में एक बड़े होटल और बहराइच में अस्पताल के निर्माण के मामले में उनके खिलाफ जांच चल रही है। अगर गहनता से जांच हो, तो कई अनियमितताओं का खुलासा हो सकता है। इससे पहले, मुकेश एनआरएचएम घोटाले में भी आरोपी रह चुके हैं और सीबीआई की कार्रवाई के चलते जेल जा चुके हैं।

सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल
स्वास्थ्य विभाग में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के इस मामले ने सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य महकमे में मुकेश श्रीवास्तव की भूमिका और उनकी कंपनियों की जांच का दायरा बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है।

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