Kerala CM की Sanatan Dharma पर की गयी दो टिप्पणियों से देशभर के हिंदुओं में गहरी नाराजगी

राष्ट्रीय जजमेंट

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की ओर से सनातन धर्म पर की गयी टिप्पणियों के चलते राज्य की राजनीति गर्मा गयी है। खास बात यह है कि केरल के मुख्यमंत्री की टिप्पणियों का भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने भी विरोध किया है। वहीं विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि कभी तमिलनाडु में सत्ताधारी दल की ओर से सनातन विरोधी बयान आते हैं तो कभी केरल से। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि यह सब विपक्षी गठबंधन इंडी की सनातन विरोधी सोच को दर्शाता है।

हम आपको बता दें कि केरल के मुख्यमंत्री ने दो बड़ी बातें कही हैं। पहली टिप्पणी में मुख्यमंत्री विजयन ने शिवगिरी तीर्थ सम्मेलन को संबोधित करते हुए संत और समाज सुधारक श्री नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थक के रूप में चित्रित करने के ‘‘संगठित प्रयासों’’ के खिलाफ आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि गुरु ने ‘‘लोगों के लिए एक जाति, एक धर्म और एक ईश्वर’’ की वकालत की थी। विजयन ने दावा किया था कि लोगों के लिए ‘एक जाति, एक धर्म और एक ईश्वर’ की वकालत करने वाले गुरु न तो सनातन धर्म के प्रवक्ता थे और न ही इसके अनुयायी, बल्कि वह एक संत हैं जिन्होंने सनातन धर्म का पुनर्निर्माण किया और नए युग के अनुरूप उपयुक्त धर्म की घोषणा की।

इसके अलावा, केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने अपनी दूसरी टिप्पणी में कहा है कि राज्य के मंदिरों में प्रवेश करने से पहले पुरुष श्रद्धालुओं को कमर से ऊपर के कपड़े उतारने की आवश्यकता संबंधी लंबे समय से जारी प्रथा को देवस्वम बोर्ड समाप्त करने की योजना बना रहा है। हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ने मंगलवार को शिवगिरि तीर्थयात्रा सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान इस प्रथा को एक सामाजिक बुराई बताया था तथा इसके उन्मूलन का आह्वान किया था। इसके बाद बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इस मामले पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘देवस्वम बोर्ड के एक प्रतिनिधि ने मुझसे मुलाकात की। उन्होंने कहा कि वे यह निर्णय लेने जा रहे हैं। मैंने कहा कि यह अच्छा है…बहुत अच्छा सुझाव है।’’ हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कौन-सा देवस्वम बोर्ड इस निर्णय को लागू करने वाला है। हम आपको बता दें कि केरल में पांच प्रमुख देवस्वम बोर्ड हैं- गुरुवयुर, त्रावणकोर, मालाबार, कोचीन और कूडलमाणिक्यम, जो सामूहिक रूप से लगभग 3,000 मंदिरों का प्रबंधन करते हैं।

इस बीच, अपनी टिप्पणियों पर विवाद खड़ा होने के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, “मैंने सनातन धर्म के बारे में जो भी कहा उस पर कायम हूं।” विजयन ने अपने बयान को दोहराते हुए कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह श्री नारायण गुरु और सनातन धर्म पर उनकी राय है। मुख्यमंत्री ने कहा, “श्री नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थक के रूप में नहीं देखा जा सकता। वास्तव में, गुरु ने इसे सुधारने में मुख्य भूमिका निभाई थी। अगर आप इसका इतिहास देखेंगे तो आपको इसके बारे में पता चल जाएगा।”

वहीं केरल के मुख्यमंत्री के बयानों पर आ रही राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने पिनराई विजयन के सनातन धर्म पर दिए गए बयान की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने सनातन धर्म को संघ परिवार तक सीमित करने का प्रयास किया है। सतीशन ने कहा, ‘‘सनातन धर्म एक सांस्कृतिक विरासत है। इसमें अद्वैत, तत्त्वमसि, वेद, उपनिषद और उनका सार समाहित है। यह दावा करना कि यह सब संघ परिवार का है तो यह केवल भ्रामक है।’’ विजयन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सतीशन ने कहा कि यह ऐसा ही है जैसे यह कहना कि जो व्यक्ति मंदिर जाता है, चंदन लगाता है या भगवा पहनता है वह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का हिस्सा है। केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सतीशन ने कहा, ‘‘सनातन धर्म और इसकी विरासत को संघ परिवार को सौंपना गलत है। मुख्यमंत्री ने जो कहा वह गलत है।’’ उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की तरह हिंदू धर्म में भी पुरोहिताई, राजतंत्र और शासन प्रणालियों का दुरुपयोग किया गया है।

वहीं, मुख्यमंत्री के बयान पर भाजपा ने प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने शिवगिरि की पवित्र भूमि पर अपनी टिप्पणी के माध्यम से सनातन धर्म और श्री नारायण गुरु के अनुयायियों का अपमान किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा, “शिवगिरि सम्मेलन में विजयन के भाषण का सार यह था कि सनातन धर्म से घृणा की जानी चाहिए। उनकी टिप्पणी उदयनिधि स्टालिन के उस बयान के क्रम में थी जिसमें द्रमुक नेता ने कहा था कि सनातन धर्म को मिटा दिया जाना चाहिए।” भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी कहा है कि केरल के मुख्यमंत्री का बयान यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर इंडी गठबंधन के नेताओं को सनातन धर्म से इतनी नफरत क्यों है?

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