माओवादियों के आत्मसमर्पण की सुविधा देने पर बीजेपी विधायक ने जताई चिंता, कहा- ये कदम एएनएफ को हतोत्साहित कर सकती है

राष्ट्रीय जजमेंट

कर्नाटक भाजपा के महासचिव सुनील कुमार ने छह माओवादियों के आत्मसमर्पण की सुविधा देने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर चिंता जताई है। बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए कुमार ने सरकार के कदम को वन नक्सलियों को शहरी नक्सली में बदलने के लिए बनाया गया एक पैकेज करार दिया। यह आत्मसमर्पण मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा माओवादियों से हथियार छोड़कर लोकतांत्रिक मुख्यधारा में शामिल होने की अपील के एक सप्ताह बाद आया है। छह व्यक्तियों, मुंदगारू लता, सुंदरी कुथलूर, वनजाक्षी बालेहोल, मारेप्पा अरोली (कर्नाटक), के वसंत (तमिलनाडु) और जीशा (केरल) ने आज मुख्यमंत्री के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
कुमार ने सरकार की पुनर्वास नीति की आलोचना करते हुए उसके समय और मंशा पर सवाल उठाया। क्या सिद्धारमैया नक्सलियों के करीब हैं, या जो लोग नक्सलियों के करीबी हैं वे उनके करीब हैं? उन्होंने आरोप लगाते हुए पूछा कि यह नीति नक्सल विरोधी बल (एएनएफ) को हतोत्साहित कर सकती है, जो वर्षों से वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला कर रहा है। उन्होंने आगे दावा किया कि पिछले महीने उडुपी जिले में माओवादी नेता विक्रम गौड़ा की मुठभेड़ में हत्या के बाद आत्मसमर्पण किया गया था। कुमार ने कहा कि यह कोई आत्मसमर्पण पैकेज नहीं है बल्कि शहरी नक्सलियों की संख्या बढ़ाने की एक खतरनाक कवायद है।
आत्मसमर्पण व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि मैं केवल यह कह सकता हूं कि वे आत्मसमर्पण कर रहे हैं। मैं उनकी मांगों या हमारे वादों के बारे में विवरण साझा नहीं कर सकता। इनका खुलासा बाद में किया जाएगा। कुमार ने सरकार से नीति पर पुनर्विचार करने और आत्मसमर्पण के लिए पैकेज की पेशकश के बजाय लोगों का विश्वास जीतने के लिए विकास पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

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