समाजसेवी धर्मवीर दहिया के जन्मदिवस पर उनके शिष्यों ने किया रक्तदान

नई दिल्ली: इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी सोनीपत के पूर्व जिला प्रशिक्षण अधिकारी झरोठी निवासी धर्मवीर दहिया ने अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा और मानवता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लाखों युवाओं को प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया और उन्हें रक्तदान, आपातकालीन सहायता, और समाज सेवा के प्रति जागरूक किया। उनकी प्रेरणा से आज हजारों युवा रक्तदान अभियान से जुड़े हुए हैं, जो न केवल जरूरतमंदों की जान बचा रहे हैं, बल्कि समाज में परोपकार की भावना को भी सशक्त कर रहे हैं।

धर्मवीर दहिया की प्रेरणा और मार्गदर्शन से रक्तदान आंदोलन को एक नई दिशा मिली है। उन्होंने न केवल रक्तदान के महत्व को समझाया, बल्कि अपने अथक प्रयासों से समाज में इस अभियान को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया। उनके द्वारा प्रशिक्षित युवाओं ने अब तक लाखों यूनिट रक्तदान करके अनगिनत जिंदगियों को बचाने में योगदान दिया है। उनकी प्रेरणा से रक्तदान शिविरों का आयोजन पूरे क्षेत्र में किया जाता है, जिससे सैकड़ों मरीजों को जीवनदान मिल रहा है और समाज में एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है।

धर्मवीर दहिया के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर उनके दो शिष्यों, सिसाना निवासी आशीष दहिया और खांडा निवासी नवीन, ने अपने गुरु के सम्मान में क्रमशः 157वीं और 30वीं बार रक्तदान किया। यह न केवल गुरु-शिष्य परंपरा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह दर्शाता है कि समाज सेवा की ज्योति उनके शिष्यों के माध्यम से निरंतर प्रज्वलित हो रही है।

आशीष दहिया, जो स्वयं रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, ने अपने गुरु से प्रेरणा लेकर अब तक 157 बार रक्तदान किया है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसी तरह, खांडा निवासी नवीन ने भी 30वीं बार रक्तदान करके समाज सेवा की इस पावन परंपरा को आगे बढ़ाया।

इस अवसर पर स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और रेड क्रॉस से जुड़े पदाधिकारियों ने भी धर्मवीर दहिया जी के कार्यों की सराहना की और उन्हें “मानवता के सच्चे सेवक” की उपाधि दी। उनके प्रयासों के कारण समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है और हजारों युवा इस अभियान से जुड़कर समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, एक यूनिट रक्तदान से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है, और नियमित रक्तदान से न केवल जरूरतमंदों को मदद मिलती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी यह लाभदायक होता है। धर्मवीर दहिया और उनके शिष्यों का यह प्रयास समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत है और यह संदेश देता है कि रक्तदान ही सबसे बड़ा महादान है।

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