मतदान का रिकॉर्ड रखने वाले फॉर्म को सार्वजनिक किया जाए? अपील पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

राष्ट्रीय जजमेंट

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (ईसीआई) की इस दलील पर गौर किया कि वह मतदान केंद्रवार मतदाता मतदान के आंकड़ों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग पर विचार-विमर्श करने को तैयार है और याचिकाकर्ताओं से 10 दिनों के भीतर चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने को कहा। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ क्रमशः टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा 2019 में दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जनहित याचिकाओं में चुनाव आयोग को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान समाप्त होने के 48 घंटे के भीतर मतदान केंद्रवार मतदाता मतदान डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई है।चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार उनसे मिलकर शिकायत पर चर्चा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अब नए मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। याचिकाकर्ता उनसे मिल सकते हैं और इस पर चर्चा की जा सकती है। तब सीजेआई ने कहा कि इस बीच, चुनाव आयोग के वकील ने कहा है कि याचिकाकर्ता (एनजीओ और सांसद) चुनाव आयोग के समक्ष एक अभ्यावेदन दायर कर सकते हैं और चुनाव आयोग उनकी सुनवाई करेगा और इस बारे में पहले से सूचित करेगा। अभ्यावेदन 10 दिनों में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अदालत ने सुनवाई 28 जुलाई के सप्ताह में स्थगित कर दी। पिछले साल 17 मई को शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था, जिसके बाद चुनाव आयोग ने एनजीओ की मांग का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि इससे चुनावी माहौल खराब होगा और आम चुनावों के बीच चुनाव मशीनरी में अराजकता पैदा होगी।

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