‘गैंग चार्ट’ तैयार करते समय निर्धारित कॉलम में विवरण दिया जाना चाहिए : उच्च न्यायालय

राष्ट्रीय जजमेंट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिया है कि ‘गैंग चार्ट’ तैयार करते समय तय कॉलम में निर्धारित प्रारूप में गैंगस्टर का विवरण दिया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि इसके अलावा, गैंगस्टर की सूची में शामिल किए जा रहे व्यक्ति के आपराधिक इतिहास की एक अलग सूची पेश की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति पीके गिरि की खंडपीठ ने भदोही के याचिकाकर्ता जय प्रकाश बिंद उर्फ नेता की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए यह निर्देश पारित किया।

बिंद के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने निबंधक (अनुपालन) को इस आदेश की एक प्रति प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया, ताकि जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक और एसएचओ को इस आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया जा सके।

अदालत ने इस याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता के खिलाफ भदोही के ज्ञानपुर थाने में गैंगस्टर अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। याचिकाकर्ता ने प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध करते हुए यह याचिका दायर की।

अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता के ‘गैंग चार्ट’ के कॉलम छह में केवल एक आपराधिक मामले का जिक्र है। वहीं, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि ‘गैंग चार्ट’ के कॉलम पांच में चार मामलों का उल्लेख है, लेकिन इनका विवरण नहीं दिया गया है।

अदालत ने कहा कि कॉलम पांच और छह में विवरण देने के लिए एक स्पष्ट नियम है, जिसका इस याचिका में अनुपालन नहीं किया गया है। उसने कहा कि कॉलम पांच में संपूर्ण विवरण देना आवश्यक है और मामले में आपराधिक इतिहास का विवरण सौंपा नहीं गया है।

खंडपीठ ने कहा कि इससे पूर्व भी, अन्य अदालतों ने इस पर निर्देश दिए हैं, लेकिन इनका अनुपालन नहीं किया जा रहा है, इसलिए प्रमुख सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को इसका अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

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