साइबर पुलिस ने वीआईपी नंबर के नाम पर ठगी करने वाले दो शातिरों को दबोचा

फरीदाबाद: तकनीक के इस दौर में ठगों ने एक बार फिर लोगों को अपना शिकार बनाया, लेकिन साइबर थाना एनआईटी की टीम ने उनकी चाल को नाकाम कर दिया। वीआईपी फोन नंबर देने के बहाने धोखाधड़ी करने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने यमुनानगर से गिरफ्तार किया है। यह जोड़ी सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर लोगों को झांसे में लेती थी और पैसे ऐंठने के बाद फर्जी कोड थमा देती थी।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि फरीदाबाद के एनआईटी इलाके में रहने वाले एक ट्रैवल कंपनी संचालक ने साइबर थाना एनआईटी में शिकायत दर्ज की। शिकायतकर्ता ने बताया कि वह अपनी कंपनी के लिए एक वीआईपी फोन नंबर लेना चाहता था। इसके लिए उसने इंस्टाग्राम पर एक विज्ञापन देखा और उस पेज को खोला। इसके बाद उसके पास एक कॉल आई, जिसमें ठगों ने वीआईपी नंबर देने का वादा करते हुए 10,000 रुपये की मांग की। भरोसा करते हुए शिकायतकर्ता ने पैसे ट्रांसफर कर दिए। बदले में ठगों ने एक कोड दिया और कहा कि इसे सिम प्रोवाइडर को दिखाकर नंबर ले लें। लेकिन जब वह सिम लेने पहुंचा, तो कोड फर्जी निकला। शिकायत मिलते ही साइबर थाना एनआईटी में मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू हुई। पुलिस ने तकनीकी सहायता और सूचना के आधार पर 31 वर्षीय विजय और 19 वर्षीय उदय को यमुनानगर से धर दबोचा। दोनों बाबा कॉलोनी और पेपर मिल कॉलोनी, यमुनानगर के रहने वाले हैं।

पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये ठग सोशल मीडिया पर वीआईपी नंबर दिलाने के विज्ञापन डालते थे। जब कोई ग्राहक संपर्क करता, तो वे फोन पर बात कर पैसे मांगते और फिर फर्जी कोड देकर गायब हो जाते। इस ठगी में उदय का बैंक खाता और फोन नंबर इस्तेमाल किया गया था। पूछताछ में विजय और उदय ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि वे इस तरीके से कई लोगों को ठग चुके हैं। साइबर थाना एनआई की टीम ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस ठगी के जाल में और कितने लोग फंसे हैं।

पुलिस प्रवक्ता ने कहा, “साइबर अपराधियों के खिलाफ हमारी टीम लगातार सतर्क है। लोगों से अपील है कि ऑनलाइन विज्ञापनों पर आंख मूंदकर भरोसा न करें और किसी भी तरह के लेन-देन से पहले पूरी जांच करें।” उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में आगे की जांच जारी है।

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