दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी गिरोह का पर्दाफाश, क्राइम ब्रांच ने 4 को दबोचा, जाली दस्तावेज बरामद

नई दिल्ली: : दिल्ली क्राइम ब्रांच की दक्षिणी रेंज ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह बांग्लादेश से असम के रास्ते भारत में घुसपैठ करवाता था और जाली दस्तावेजों के जरिए दिल्ली और एनसीआर में इन प्रवासियों को बसाने का गोरखधंधा चला रहा था। इस ऑपरेशन में तीन अवैध बांग्लादेशी नागरिकों और उनके एक भारतीय सहयोगी को गिरफ्तार किया गया है। गिरोह के सरगना मोहम्मद इकबाल हुसैन उर्फ फरहान खान को नेहरू प्लेस से धर दबोचा गया, जिसके पास से बांग्लादेशी और भारतीय दोनों पासपोर्ट बरामद हुए।

डीसीपी आदित्य गौतम ने बताया कि इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए अवैध प्रवासियों और उनके नेटवर्क के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए अपराध शाखा ने एक विशेष टीम बनाई थी, जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर विजय पाल दहिया और राम प्रताप ने किया। एसीपी नरेश सोलंकी के मार्गदर्शन में टीम ने दक्षिणी दिल्ली के साप्ताहिक बाजारों में मुखबिर तैनात किए। एएसआई कृष्णा पांडे और हेड कांस्टेबल संजय ने गारमेंट विक्रेता बनकर खुफिया जानकारी जुटाई, जिसके बाद फरहान खान को नेहरू प्लेस से गिरफ्तार किया गया।

डीसीपी ने बताया कि इस मामले में पकड़े गए आरोपी में बांग्लादेश के सुनामगंज का रहने वाला 44 वर्षीय मोहम्मद इकबाल हुसैन उर्फ फरहान खान हैं। जो इस गिरोह का मास्टरमाइंड था। इसके पास से भारतीय पासपोर्ट, बांग्लादेशी पासपोर्ट की कॉपी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और दो मोबाइल फोन बरामद हुए, जिनमें अहम सबूत मौजूद हैं। सुनामगंज का ही रहने वाला 21 वर्षीय रज़ीब मियां उर्फ राहुल विश्वास है। यह युवक फर्जी नाम से दिल्ली में रह रहा था। इसके पास से आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और मोबाइल फोन जब्त किया गया। 22 वर्षीय मोहम्मद मोमिन बदशा उर्फ जितेंद्र यादव हैं। इस बांग्लादेशी नागरिक ने भी फर्जी भारतीय पहचान बनाई थी। इसके पास से आधार, वोटर आईडी, पैन कार्ड और मोबाइल फोन मिला और दिल्ली के ओखला का रहने वाला 28 वर्षीय अगरसेन कुमार है। जो बैंक में आधार कार्ड जारी करने का अधिकृत कर्मचारी था, जिसने सरकारी सिस्टम में झूठी जानकारी देकर कई फर्जी आधार कार्ड बनवाए हैं।

जांच में पता चला कि यह गिरोह फर्जी आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज बनवाकर बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय पहचान दिलाने में मदद करता था। गिरफ्तार मुख्य आरोपी फरहान खान ने न सिर्फ भारत में अवैध रूप से रहकर गारमेंट व्यापार चलाया, बल्कि अपनी असली पहचान छिपाकर मध्य प्रदेश की एक महिला से दूसरी शादी भी रचाई। यह खुलासा तब हुआ जब उसके पास से दो अलग-अलग नामों पर बने आधार कार्ड और अन्य जाली दस्तावेज जब्त किए गए।

यह गिरोह असम की सीमा के जरिए बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में लाता था। इसके बाद ट्रेनों के जरिए इन्हें दिल्ली पहुँचाया जाता था। यहाँ जाली दस्तावेजों के सहारे इन्हें नई पहचान दी जाती थी, ताकि ये बिना किसी शक के दिल्ली एनसीआर में रह सकें और काम कर सकें। फरहान खान ने अपने गारमेंट व्यापार को बढ़ाने के लिए इस तस्करी को अंजाम दिया और इसमें एनसीआर के मानव तस्करों की मदद ली।

मुख्य आरोपी का काला इतिहास

फरहान खान का आपराधिक और अवैध गतिविधियों से भरा इतिहास भी सामने आया है। 1995 में स्कूल छोड़ने के बाद उसने बांग्लादेश में चावल का व्यापार शुरू किया। 2004 से 2009 तक इंग्लैंड में डिलीवरी और रेस्तरां का काम किया। 2017 में असम के रास्ते भारत में घुसा और जामिया नगर में गारमेंट व्यापार शुरू किया। 2020 में अवैध सिम कार्ड बेचने के मामले में पकड़ा गया था, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद फिर से अपराध की दुनिया में लौट आया।

उन्होंने ने बताया कि यह कार्रवाई अवैध प्रवासियों और मानव तस्करी के खिलाफ दिल्ली पुलिस के सख्त रवैये का हिस्सा है। यह गिरोह वर्षों से दिल्ली एनसीआर में सक्रिय था और अवैध प्रवासियों को भारत में नागरिकता दिलाने का नेटवर्क चला रहा था। उनकी गिरफ्तारी से एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है इस गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश जारी है और भविष्य में ऐसी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए अभियान तेज किया जाएगा।

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