मुख्यमंत्री फडणवीस 17 मार्च की हिंसा के बाद पहली बार नागपुर पहुंचे

राष्ट्रीय जजमेंट

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस विदर्भ के सबसे बड़े शहर नागपुर में 17 मार्च को हुई हिंसा के बाद पहली बार शुक्रवार देर शाम यहां पहुंचे। नागपुर के कई हिस्सों में 17 मार्च को पथराव और आगजनी की खबरें आईं।यह हिंसा छत्रपति संभाजी नगर स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के दौरान धार्मिक लेख वाली ‘चादर’ जलाने की अफवाह के बाद हुई।एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री नागपुर में रात्रि विश्राम करेंगे और उनका कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं है। सूत्रों ने बताया कि वह शनिवार को मीडिया से मिल सकते हैं और शहर के दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा कर सकते हैं।इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री ने कहा था कि नागपुर हिंसा के दिन सोशल मीडिया पोस्ट पर अधिक प्रभावी तरीके से नजर रखी जानी चाहिए थी, क्योंकि इससे पुलिस को यह पता लगाने में मदद मिलती कि क्या योजना बनाई जा रही थी। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि खुफिया स्तर पर कोई विफलता थी।फडणवीस ने कहा कि पुलिस की प्रतिक्रिया उचित थी और यह नहीं कहा जा सकता कि यह अपर्याप्त थी। मुख्यमंत्री ने मराठी चैनल एबीपी माझा के कार्यक्रम में कहा, ‘‘कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में बांग्ला में सामग्री थी, जो बांग्लादेश में भी बोली जाती है। यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है।’’उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर दोपहर में ही नजर रखी जानी चाहिए थी (जिस दिन हिंसा भड़की)। नागपुर से ताल्लुक रखने वाले और गृह विभाग का प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उस तरह से नहीं किया गया, जैसे किया जाना चाहिए था।फडणवीस ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिये लोगों को इकट्ठा होने के लिए संदेश भेजे गए थे, और इन लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास (सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर रखने की) क्षमता है, लेकिन आदत विकसित करने की जरूरत है। अगर उस दोपहर सोशल मीडिया पर अच्छी तरह से नजर रखी गई होती, तो हमें पता चल जाता (कि क्या योजना बनाई जा रही थी)।’’मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा के दौरान समस्या मुख्य सड़कों पर नहीं, बल्कि संकरी गलियों में थी। उन्होंने पुलिस का बचाव करते हुए कहा, ‘‘पुलिस ने इन गलियों में घुसकर स्थिति का सामना करने का साहस दिखाया। यही कारण है कि स्थिति बिगड़ नहीं पाई।’’पुलिस ने पहले कहा था कि उसने सोशल मीडिया मंचों पर पोस्ट और वीडियो सहित 140 से अधिक आपत्तिजनक सामग्री की पहचान की है, जिनका उद्देश्य नागपुर हिंसा के संबंध में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना था।

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