दक्षिण जिला पुलिस ने तोड़ा अवैध बांग्लादेशी नेटवर्क, 18 पकड़े, फर्जी आईडी और मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा

नई दिल्ली: दिल्ली के दक्षिण जिला पुलिस ने एक अवैध बांग्लादेशी आव्रजन के बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। लोधी कॉलोनी थाना और एएटीएस की संयुक्त टीम ने इस ऑपरेशन में 18 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा, जिसमें 8 की गिरफ्तारी हुई, 6 को निर्वासित किया गया और 4 की जांच चल रही है। इसके साथ ही 8 भारतीय सहायकों पर फर्जी दस्तावेज बनाने और प्रवासियों को शरण देने का आरोप लगा है।

दक्षिण जिला पुलिस की इस कार्रवाई में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कुल 18 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया, जिनमें से 8 को गिरफ्तार कर लिया गया, 6 को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय के जरिए निर्वासित कर दिया गया, जबकि 4 संदिग्धों की जांच अभी जारी है। इसके साथ ही, 8 भारतीय नागरिकों को भी हिरासत में लिया गया, जिन पर फर्जी पहचान-पत्र बनाने, अवैध प्रवासियों को शरण देने, उन्हें नौकरियां दिलवाने और हथियार उपलब्ध कराने जैसे गंभीर आरोप हैं।

छापेमारी के दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में जाली दस्तावेज बरामद किए, जिनमें 23 मतदाता पहचान-पत्र, 19 पैन कार्ड, 17 आधार कार्ड, 11 जन्म प्रमाण-पत्र, 6 खाली मतदाता पहचान-पत्र और एक सीपीयू शामिल हैं। यह खुलासा हुआ कि ये फर्जी दस्तावेज एक परिष्कृत सिंडिकेट के जरिए तैयार किए जा रहे थे, जिसका मकसद बांग्लादेशी प्रवासियों को भारतीय नागरिक के रूप में स्थापित करना था।

आगे की जांच में पुलिस को पता चला कि गूगल पे, पेटीएम और फोन पे का इस्तेमाल कर रुपए बांग्लादेश में भेजे जा रहे थे। यह धन पहले भारतीय खातों में जमा किया जाता था और फिर सीमा पार एजेंटों के जरिए बांग्लादेश में उनके के परिवारों तक पहुंचाया जाता था। साथ ही, इन प्रवासियों को फर्जी पहचान-पत्रों के दम पर कचरा प्रबंधन, डिलीवरी सेवाएं और अन्य कम वेतन वाली नौकरियों में लगाया जा रहा था।

इस ऑपरेशन में पकड़े गए दो भाई, 27 वर्षीय मोहम्मद ज्वेल इस्लाम और 34 वर्षीय मोहम्मद आलमगीर 2021 और 2007 से भारत में रह रहे थे। दोनों ने फर्जी आधार और पैन कार्ड हासिल किए और स्क्रैप डीलर का काम शुरू किया। आलमगीर ने भारत में शादी की और 13 और 9 साल अपने दो बच्चों को भारतीय स्कूलों में दाखिल कराया।

मोहम्मद रेजाउल, जो 2000 से भारत में रह रहा था, उसने भारतीय पासपोर्ट बनवाया और कैब ड्राइवर के रूप में काम करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का जाल बिछाया। उसने पिछले दो साल में 22 बार बांग्लादेश की यात्रा की। कमरुज्जमां 2014 से फर्जी आईडी के साथ जोमैटो डिलीवरी बॉय के रूप में काम कर रहा था।

इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड मोहम्मद मोइनुद्दीन दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में एक छोटी कंप्यूटर दुकान चलाता था। वह फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र, आधार, पैन और वोटर आईडी तैयार करता था। मोहम्मद शाहीन ने प्रवासियों को नौकरियां दिलवाईं, जबकि मनवर हुसैन और निमाई कर्माकर ने बांग्लादेश में अवैध रुपए भेजने का काम संभाला।

दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता , विदेशी अधिनियम और आधार अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें जालसाजी, साजिश, अवैध प्रवेश और पहचान धोखाधड़ी जैसे अपराध शामिल हैं। पुलिस ने 23 वोटर आईडी, 19 पैन कार्ड, 17 आधार कार्ड, 11 जन्म प्रमाण-पत्र, 6 खाली वोटर आईडी और एक सीपीयू जब्त किया है। जांच के अगले चरण में पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह नेटवर्क कितना व्यापक था और इसमें और कितने लोग शामिल हैं।

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