क्या बकवास है, कोर्ट के पास और भी काम है, कर्नाटक हनी ट्रैप मामले को लेकर क्यों भड़क गया सुप्रीम कोर्ट

राष्ट्रीय जजमेंट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक में हनीट्रैप कांड के आरोपों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया और इसे राजनीतिक बकवास करार दिया तथा याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया, खासकर यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता झारखंड से था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आप झारखंड के निवासी हैं। उस राज्य में क्या हो रहा है, इस बारे में आप क्यों परेशान हो रहे हैं? वे इस मामले को संभालने में सक्षम हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि हनीट्रैप मामले से जुड़े आरोप गंभीर हैं और न्यायिक जांच की आवश्यकता है। वकील ने तर्क दिया कि हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में चिंतित हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इससे सहमत नहीं था। पीठ ने कहा कि उन्हें हनीट्रैप में क्यों फंसना चाहिए? अगर कोई हनीट्रैप बिछाता है और आप उसमें फंस जाते हैं, तो आप खुद के लिए मुसीबत को आमंत्रित कर रहे हैं। साथ ही पीठ ने कहा कि अदालत के पास राजनीतिक विवादों से ज़्यादा ज़रूरी मामले हैं।यह विवाद सबसे पहले कर्नाटक विधानसभा में तब शुरू हुआ जब सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने आरोप लगाया कि उन्हें हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई थी और विभिन्न दलों के कम से कम 48 राजनीतिक नेता इसी तरह की साजिशों का शिकार हुए हैं। राजन्ना ने पत्रकारों से बात करते हुए ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। अपना अनुभव बताते हुए राजन्ना ने खुलासा किया कि दोनों कथित हनीट्रैप प्रयासों के दौरान, एक ही आदमी हर बार अलग-अलग महिलाओं के साथ था। दूसरी बार आई महिला ने खुद को हाई कोर्ट की वकील बताया। हालांकि, वह वकील का कोट नहीं पहने हुए थी, बल्कि जींस और नीले रंग का टॉप पहने हुए थी। उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें कुछ महत्वपूर्ण और गोपनीय बात करनी है। अगर मैं उनकी तस्वीरें देखूं तो मैं उन्हें पहचान सकता हूं।

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